Bhavishy Darshan
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Favourable Gems/राशि रत्न


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Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट

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दीक्षान्त समारोह फोटो

 
बने हुए कार्य अन्त में क्यों बिगड़ जाते हैं।
       आपने देखा होगा कि बने हुए कार्य अन्तिम रुप देने से पहले ही बिगड़ जाते हैं। किसी ने सच ही कहा है कि भाग्य में न हो तो परोसी हुई थाली भी हाथ से चली जाती है। अर्थात् हम सफलता तक पहुँच जाते हैं, परन्तु सफल होते हुए भी असफल रहते हैं। आखिर ऐसे कौन से ग्रह हैं जो बाधक बन कर कार्य में रुकावट डाल देते हैं। कुंडली में इसके लिए हमें प्रथम भाग्य नवम भाव को देखना होगा, वहीं भाग्येश यानि नवम भाव के स्वामी, नवम भाव को देखने वाले ग्रह, दशम भाव जो उच्च प्रशासनिक व्यापार, राजसत्ता का भाव आदि पर भी दृष्टि डालनी होगी।
       इस भाव का स्वामी, इस पर पड़ने वाले ग्रहों की दृष्टि, इस भाव में बैठे ग्रह, लग्नेश व लग्न पर पड़ने वाले ग्रह, लग्न में बैठे ग्रह एवं पंचम भाव का स्वामी उस भाव में बैठे ग्रह, दृष्टि संबंध इन सभी बातों का भी अध्ययन करना होगा। चतुर्थ भाव का भावाधिपति व चतुर्थ भाव को देखने वाले ग्रह, चतुर्थ भाव में बैठे ग्रह, यही सर्वाधिक महत्व रखते हैं। सफलता में यदि इन भावों की स्थिति अशुभ हो तो हाथ आई हुई सफलता असफलता में बदल जाती है। तृतीय भाव से यदि किसी ग्रह की नीच दृष्टि नवम भाव या दशम भाव पर पड़ती हो तो हाथ आई सफलता भी चली जाती है। नवम् भाव में यदि सूर्य-राहू, चंद्र-राहू, शनि-मंगल हो या अष्टम भाव में शनि की नीच दृष्टि दशम भाव पर हो तो भी सफलता नहीं मिलती है।
       लग्न से दशम भाव पर वक्र दृष्टि पड़ती हो या नीच दृष्टि पड़ती हो तो तब भी हाथ आई सत्ता चली जाती है। नवमेश यदि नीच का होकर बैठ जाए तो भी सफलता हाथ से चली जाती है। दशम भाव का स्वामी अष्टम में या लग्न में नीच का हो तब भी सफलता हाथ से चली जाती है।
       पंचम भाव का स्वामी यदि शत्रु राशि का नीच का हो तो तब भी सफलता नहीं मिलती। क्योंकि यह भाव विद्या से संबंध रखता है। दशम भाव में शनि-मंगल का दृष्टि संबंध में सफलता में बाधक बन जाता है।
       लग्न, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम, भाव अशुभ या नीच के हो या वक्री हो या अस्त हो तभी उच्च सफलता नहीं मिलती। कोई भी ग्रह उपरोक्त भावों के होकर मृत, सुप्तावस्था में हो तब भी सफलता नहीं मिलती।
       उपरोक्त ग्रहों की स्थिति जिसकी भी पत्रिका में बनती हो तो उच्च सफलता नहीं मिल पाती और हाथ आए अच्छे अवसर हाथ से निकल जाते हैं।
Pooja/Tantra           पूजा / तंत्र

    आपकी वर्तमान एंव भविष्य की परेशानियों एंव कष्टों को दूर करने हेतु मंत्र तंत्र, अनुष्ठान एंव यज्ञ का प्रावधान है जिससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एंव शिक्षा आदि परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

विवाह तंत्र घट विवाह अनुष्ठान अनुकूल रत्न
 
Our Products           हमारे उत्पाद

    सिद्ध यंत्र, सिद्ध लाकेट, सिद्ध रुद्राक्ष एंव सिद्ध मालायें धारण करने एंव मंत्रों के जाप से पति-पत्नि बशीकरण, मुकदद्मा जीतने, शिक्षा एंव नौकरी की रूकावटों, शारीरिक, मानसिक परेशानी दूर की जा सकती है।

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    हम अपनी ज्योतिष, तंत्र शिक्षा प्रसार समिति द्वारा ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र एवं अंकविज्ञान आदि की शिक्षा प्रदान करते है। यह संस्था अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ, नई दिल्ली से सम्बद्ध (affilated) है।

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पत्रिका कलेण्डर पंचांग लेख

 
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