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शंख बजाने से क्या लाभ?
हिन्दूजन पूजा, आरती कथा वार्ता आदि धार्मिक अनुष्ठानों में शंख अवश्य फूकते हैं इससे क्या लाभ? (क) शंखेन हत्वा रक्षांसि (अथर्व. 4-10-21) (ख) अवरस्पराय शख्डध्वम् (यजु. 30-161) (ग) यस्तु शख्डध्वनि कुर्यात्पूजाकाले विशेषतः। विमुक्तः सर्वपापेन विष्णुना सह मोदते।। (रणवीर भक्ति-रत्नाकार स्कान्दे) अर्थात् (क) शंख से सब राक्षस मारकर, (ख) शत्रुओं का हृदय दहलाने के लिए शंख फुंकने वाला व्यक्ति अपेक्षित है। (ग) पूजा के समय विशेषतः जो पुरुष शंख ध्वनि करता है उसके सब पाप नष्ट हो जाते हैं, और विष्णु भगवान् के साथ आनन्द करता है। श्री जगदीशचन्द्र बसु जैसे भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने यन्त्रों द्वारा यह प्रत्यक्ष दिखा दिया है कि एक बार शंख फंकूने पर जहाँ तक उसकी ध्वनि जाती है वहाँ तक अनेक बीमारियों के कीटाणुओं के हृदय दहल जाते हैं, और वे मूच्छित हो जाते हैं। यदि निरन्तर यह क्रिया चालू रक्खी जाए तो फिर वहां का वायुमण्डल कीटाणुओं से सर्वथा उन्मुक्त हो जाता है। यह सभी विज्ञानवेत्ता मानते हैं कि शब्द की प्रगति में सूर्य किरणें बाधक सिद्ध होती हैं। इसलिए हमारे यहाँ प्रातः सायं ही प्रायः शंख फूंका जाता है, जिससे कि शंख घोष से पूरा लाभ उठाया जा सके। मूकता और हकलापन दूर करने के लिए निरन्तर शंख का शब्द श्रवण करना एक अचूक महौषधि निरंतर शंख फूंकने वाले व्यक्ति को कभी फुफ्फुस (फेफड़ों) का रोग नहीं हो सकता। दमा, ऊरुक्षत, कास, छर्दी, प्लीहा, यकृत् और इन्फ्लूंजा जैसे रोगों के पूर्वरुप में शंख ध्वनि लाभप्रद है। इसलिये देवमन्दिर, कथाभवन आदि स्थानों में जहाँ मनुष्यों का अधिक जमाव होता हो, और उनके मुख से निकलने वाले श्वास से वायुमण्डल दूषित होने का पर्याप्त अवसर हो ऐसे स्थानों में शंख बजाकर प्रथम ही वायुमण्डल को विशुद्ध बनाना बहुत लाभप्रद है। |
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