![]() |
![]() Favourable Gems/राशि रत्न ![]() Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट Baby Names/बच्चों के नाम |
|||||||||||||||||||||||||
|
||||||||||||||||||||||||||
शास्त्रों में पूजन के लिये पुष्प का विशेष महत्व
पुष्प- शास्त्रों में पूजन के लिये पुष्प का विशेष महत्व है। देवता पुष्पों से प्रसन्न होते है। इसलिये पुष्प सुंदर, सुगन्धित, खिले हुए पूर्ण विकसित व ताजा होने चाहिये। परन्तु कमल एवं कुमुद के पुष्प पांच दिन तक बासी नहीं होते है। बिल्व पत्र, पान एवं तुलसी के टूटे-फूटे जीर्ण पत्र एवं पुष्प भी चढ़ाए जा सकते है। प्रत्येक देव के अलग-अगल रंग के पुष्प है व अलग पुष्प है। पुष्प हमेशा सीधा चढ़ाना चाहिये। श्री कृष्ण, विष्णु को तुलसी प्रिय है। देवताओं को चम्पा की कली प्रिय है। 1. मन्त्र क्या है? वह कैसे प्रभावित करता है? अनिष्ट फल को कैसे दूर करता है? 2. मंत्र कार्य कैसे करता है? 3. मंत्र व स्तोत 4. मन्त्र - सामर्थ 5. अंतश्चेतन को जाग्रत करने के लिये 6. साधन किस मास में आरम्भ की जाये? 7. जप का विशेष महत्व है। जप की कुछ सावधानियाँ 8. जप तीन प्रकार का होता है 9. माला संस्कार 10. माला फेरते हुए कुछ सावधनियाँ 11. पुष्प- शास्त्रों में पूजन के लिये पुष्प का विशेष महत्व 12. पुरश्चरण 13. यज्ञ/हवन |
||||||||||||||||||||||||||
|
|