Bhavishy Darshan
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Favourable Gems/राशि रत्न


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Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट

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Rashiphal / राशिफल

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दीक्षान्त समारोह फोटो

 
यज्ञ/हवन
      यज्ञ/हवन- यज्ञ अतिवैज्ञानिक विधि है। गीता में यज्ञ को इतना विस्तृत परिपेक्ष्य दिया है कि सृष्टि के समस्त कर्म-भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कार्य-यज्ञ में आ जाते है।
      यद्यापि आज के व्यस्त जीवन में यज्ञ की सम्पूर्ण विधि-निर्वाह करना कठिन है फिर भी हमारी व्यावसायिक व्यस्तता में यदि हम ऐसे अव्यावसायिक आयोजन करें पाये तो हमें एक भिन्न संसार के दर्शन होंगे। सात्विक आनन्द की अनुभूति होगी।
      किसी भी अनुष्ठान की सम्पूर्णता के लिये यज्ञ एक अनिवार्य आयोजन है।
      समिधा- आज के शहरी जीवन में शास्त्र में वर्णित ईधन/लकड़ी मिलना कठिन है। इसलिये कुल्हाड़ी से या आरे से फाड़ी-काटी गई समिधाये ली जा सकती है। समिधा सूखी हो। वे पतली भी नहीं हो कि जल्दी जल कर समाप्त हो जाए और हवन में दिया गया पदार्थ पक्के ही नहीं। इनको इस प्रकार लगाया जाये कि हवा के प्रवेश का स्थान बना रहे। आवश्यकता पड़ने पर समिधायें और भी रखी जा सके।
      हवन करते समय यह सावधानी पूर्वक देखते रहना चाहिये कि अग्नि मंद्र नहीं हो। अग्नि का तेज बना रहना चाहिये। अग्नि जब बहुत जोर से जलने लगे, तभी हवन आरम्भ करना चाहिये।
      स्रुचि व स्रुवा- हवन करने के लिये स्रुचि व स्रुवा होते है। स्रुचि पीपल के पत्ते के आकार की व स्रुवा गोल चम्मच के आकार का होता है, दोनों लकड़ी के बने होते है। धार बांधकर घी होम ने के लिये स्रुचि और सामान्य आहुति के लिये स्रुवा का प्रयोग होता है। इनके स्थान पर चम्मच का प्रयोग भी किया जा सकता है। परन्तु लोहे के सीसे या कांसे के चम्मच नहीं होने चाहिये। इनके स्थान पर पीपल या पलाश के पत्ते का प्रयोग किया जा सकता है। हवन में देसी घी का प्रयोग उत्तम है।

      1. मन्त्र क्या है? वह कैसे प्रभावित करता है? अनिष्ट फल को कैसे दूर करता है?
      2. मंत्र कार्य कैसे करता है?
      3. मंत्र व स्तोत
      4. मन्त्र - सामर्थ
      5. अंतश्चेतन को जाग्रत करने के लिये
      6. साधन किस मास में आरम्भ की जाये?
      7. जप का विशेष महत्व है। जप की कुछ सावधानियाँ
      8. जप तीन प्रकार का होता है
      9. माला संस्कार
      10. माला फेरते हुए कुछ सावधनियाँ
      11. पुष्प- शास्त्रों में पूजन के लिये पुष्प का विशेष महत्व
      12. पुरश्चरण
      13. यज्ञ/हवन

Pooja/Tantra           पूजा / तंत्र

    आपकी वर्तमान एंव भविष्य की परेशानियों एंव कष्टों को दूर करने हेतु मंत्र तंत्र, अनुष्ठान एंव यज्ञ का प्रावधान है जिससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एंव शिक्षा आदि परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

विवाह तंत्र घट विवाह अनुष्ठान अनुकूल रत्न
 
Our Products           हमारे उत्पाद

    सिद्ध यंत्र, सिद्ध लाकेट, सिद्ध रुद्राक्ष एंव सिद्ध मालायें धारण करने एंव मंत्रों के जाप से पति-पत्नि बशीकरण, मुकदद्मा जीतने, शिक्षा एंव नौकरी की रूकावटों, शारीरिक, मानसिक परेशानी दूर की जा सकती है।

सिद्ध पूजा यंत्र सिद्ध-रुद्राक्ष मालायें सिद्ध लाकेट
Education              शिक्षा

    हम अपनी ज्योतिष, तंत्र शिक्षा प्रसार समिति द्वारा ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र एवं अंकविज्ञान आदि की शिक्षा प्रदान करते है। यह संस्था अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ, नई दिल्ली से सम्बद्ध (affilated) है।

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Publications           प्रकाशन

    आपको ज्योतिष एंव वास्तु का ज्ञान प्रदान करके जीवन की उन्नति हेतु हम द्वि-मासिक "भविष्य निर्णय" पत्रिका, भविष्य दर्शन पंचांग कालदर्शक (कलेण्डर) एवं लघु पाकेट पंचांग का प्रकाशन करते हैं।

पत्रिका कलेण्डर पंचांग लेख

 
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