Bhavishy Darshan
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Favourable Gems/राशि रत्न


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Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट

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Rashiphal / राशिफल

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दीक्षान्त समारोह फोटो

 
शनिस्त्रोतम्
शनिस्त्रोतम् निम्न पैराग्राफ पढ़ते हुए! भगवान् शनि का ध्यान करें:-
     नील कान्ति वाले, त्रिशूलधारी, मुकुट धारण किये हुए, गीधपर बैठे हुए, सभी को भयभीत करने वाले, धनुषधारी, चारभुजा वाले, शान्त स्वरूप, सभी में श्रेष्ठ, निरन्तर अभीष्ट करने वाले ऐसे सूर्य पुत्र भगवान् शनि को मैं नमस्कार करता हूँ।
     कृष्ण वर्ण के लिए मेरा नमस्कार है, नीलवर्ण शनि के लिए मेरा नमस्कार है, शंकर सदृश शनि के लिए मेरा नमस्कार है, सुन्दर रूप से युक्त शरीर वाले शनि को मेरा नमस्कार है, स्थूल बाल वाले शनि को मेरा नमस्कार है। सदैव बुभक्षित रहने वाले शनि को मेरा नमस्कार है, कभी भी तृप्त न रहने वाले शनि को मेरा नमस्कार है, कालाग्नि स्वरूप शनि को मेरा नमस्कार है, काले शरीर वाले शनि को मेरा नमस्कार है।
     लम्बे किन्तु शुष्क शरीर वाले शनि को मेरा नमस्कार है, काल दृष्टि वाले शनि को मेरा नमस्कार है, कोटर सदृश आँख और दुर्भिक्षकारक शनि को मेरा नमस्कार है। अत्यन्त घोर, रूद्र रूप, भीषण तथा कपाल धारण करने वाले शनि को मेरा नमस्कार है। हे मन्दगते, सूर्यपुत्र, सबको भय देने वाले तुम्हें नमस्कार है। नीचे की ओर देखने वाले तथा प्रलयकालीन संर्वत्तक अग्नि के समान शनि को मेरा नमस्कार है। तपस्या से अपने शरीर को जला डालने वाले, योग में संलग्न शनि को मेरा नमस्कार है ज्ञानवक्षु सूर्यपुत्र शनि को मेरा नमस्कार है। हे भगवान् शनि! तुम प्रसन्न होने पर राज्य दे सकते हो पर अप्रसन्न होने पर तुम तत्क्षण राज्य का नाश भी कर सकते हो। सबको भक्षण करने वाले हे सूर्य पुत्र शनि! आपको नमस्कार है, देवता, असुर, मनुष्य, पशु-पक्षी तथा सरकने वाले सभी सर्पादि जन्तु आप के द्वारा देखे जाने पर दीन हो जाते हैं तथा ब्रह्मा, इन्द्र, विष्णु, ऋषिगण और सप्त तारागण आपकी दृष्टि से देखे जाने पर राज्यभ्रष्ट हो जाते हैं। देश, नगर, ग्राम, द्वीप तथा वृक्षादि आपके देखे जाने पर समूल नष्ट हो जाते हैं। हे सूर्यपुत्र भगवान् शनि, तुम प्रसन्न हो जाओ।
     महाराज दशरथ के द्वारा इस प्रकार स्तुति किये जाने पर अत्यन्त पराक्रमी शनि देव ने प्रसन्न होकर महाराज दशरथ से कहा, हे राजेन्द्र, मैं तुम्हारे इस स्त्रोत से अत्यन्त प्रसन्न हूँ, तुम्हारे मन के अनुकूल वर देता हूँ। जो व्यक्ति इसका नित्य तीन बार पाठ करेगा, मैं उसे कभी कष्ट नहीं दूंगा।
Pooja/Tantra           पूजा / तंत्र

    आपकी वर्तमान एंव भविष्य की परेशानियों एंव कष्टों को दूर करने हेतु मंत्र तंत्र, अनुष्ठान एंव यज्ञ का प्रावधान है जिससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एंव शिक्षा आदि परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

विवाह तंत्र घट विवाह अनुष्ठान अनुकूल रत्न
 
Our Products           हमारे उत्पाद

    सिद्ध यंत्र, सिद्ध लाकेट, सिद्ध रुद्राक्ष एंव सिद्ध मालायें धारण करने एंव मंत्रों के जाप से पति-पत्नि बशीकरण, मुकदद्मा जीतने, शिक्षा एंव नौकरी की रूकावटों, शारीरिक, मानसिक परेशानी दूर की जा सकती है।

सिद्ध पूजा यंत्र सिद्ध-रुद्राक्ष मालायें सिद्ध लाकेट
Education              शिक्षा

    हम अपनी ज्योतिष, तंत्र शिक्षा प्रसार समिति द्वारा ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र एवं अंकविज्ञान आदि की शिक्षा प्रदान करते है। यह संस्था अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ, नई दिल्ली से सम्बद्ध (affilated) है।

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Publications           प्रकाशन

    आपको ज्योतिष एंव वास्तु का ज्ञान प्रदान करके जीवन की उन्नति हेतु हम द्वि-मासिक "भविष्य निर्णय" पत्रिका, भविष्य दर्शन पंचांग कालदर्शक (कलेण्डर) एवं लघु पाकेट पंचांग का प्रकाशन करते हैं।

पत्रिका कलेण्डर पंचांग लेख

 
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