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पिरामिड की उपयोगिता
सत्य है कि पिरामिड का उद्भव और विकास मिस्र में हुआ है, लेकिन उसे आम जीवन के लिए उपसोगी बनाने एवं विशेष आकृति देकर यंत्र रूप प्रदान करने में भारतीयों का  à¤¹à¥€ विशकष योगदान है। हमारे ऋषि-मुनियों ने इस पिरामिडाकृति की विशेष ऊर्जा को पहचान लिया था । इस आकृति का प्रयोग भारत में अनेकों प्रकार से होता चला आ रहा है। पिरामिड शक्ति व उसके मूल तत्व को समझने व जानने के लिए अनेकों अनुसंधान हुए हैं,  à¤œà¤¿à¤¸à¤¸à¥‡ जनकारी प्राप्त करके ही वैज्ञानिकों ने पिरामिड को मानव कल्याण के लिए उपयोगी माना है। पिरामिड के अनंत फायदे हैं जो अवर्णनीय हैं। इनका अनुभव  à¤‡à¤¨à¥à¤¹à¥‡à¤‚ अजमाकर ही किया जा सकता है। पिरामिड का प्रयोग जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हो रहा है।  à¤‡à¤¸à¤•à¥‡ लाभदायक परिणामों में भी अधिकाधिक वृद्धि हो रही है। जिस प्रकार अग्नि का स्पर्श आप जाने-अनजाने जैसे भी करें, वह आपको अपना प्रभाव अवश्य दिखायेगी ही। इसी तरह पिरामिड का प्रयोग भी, चाहे जिस तरह से भी किया जाये लाभकारी ही सिद्ध होगा।
पिरामिड के उपयोग से हमारी मानसिक शक्तियां अधिक विकसित और शक्तिशाली होकर विलक्षण क्षमता और कार्य कुशलता में वृद्धि करती है। पिरामिड मानसिक तनाव और थकान को दूर करने में भी उपयोगी है।
पिरामिड के भीतर औषधि रखकर सेवन करने से औषधि का प्रभावी होता है। पिरामिड का बनाया हुआ पानी पीने से सभी प्रकार के रोगों में लाभ होता है तथा व्यक्ति  à¤¦à¥€à¤°à¥à¤§à¤¾à¤¯à¥ होता है। 

दिमागी कमजोरी, अल्बुद्धि या बुद्धि क्षीण आदि में पिरामिडीय शक्ति का उपयोगी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुआ है। पिरामिडीय आकार की टोपी पहनने से मंद बुद्धि बच्चों की स्मृति विकसित होती है। पिरामिड के प्रयोग से मानसिक शारीरिक और भावात्मक रूप से अच्छे परिणाम मिलते हैं। इसकी पुष्टि लोगों के अनुभवों व प्रयोगों द्वारा हुई है। पिरामिड के उपयोग से  à¤ à¥‹à¤¸, द्रव्य, पौधों, कीड़ों में नहीं बल्कि मानव में भी असाधारण ऊर्जा क्षेत्रों का पता लगाया। 
चिकित्सा प्रणाली के पूरक के रूप में भी पिरामिड की उपयोगिता सिद्ध होती जा रही है। पिरामिड एक ऐसी शक्ति उत्पन्न करता है, जो घाव को भरने में और रोगों के सुधार में अत्यंत प्रभावी हैं। पिरामिड की यह रोग सुधारक क्षमता न केवल मनुष्यों के लिए वरन् पशुओं और पौधों और अन्य जीवीत प्राणियों के लिए भी उपयोगी है।
इस प्रकार से अध्ययन द्वारा हमें यह ज्ञात होता है कि पिरामिड की उपयोगिता विस्तृत है। अनेकों क्षेत्रों में पिरामिड का उपयोग सिद्ध हो चुका है। पिरामिड ऊर्जा का प्रयोग वास्तु दोषों को दूर करने में भी अत्सधिक उपयोगी रहा है। पिरामिड के द्वारा प्रत्येक जटिल समस्या का सरल और व्यवहारिक समाधान है।
पिरामिड के अंदर बैठकर रोगी शीघ्र स्वास्थ्य लाभ करता है। इससे सिर-दर्द भी शीघ्र ही दूर होता है। मोटे व्यक्तियों का भार संतुलित होता है। पौधों पर भी पिरामिड का प्रभाव पड़ता है। पिरामिड जल से ये जल्दी बड़े होते हैं। भोजन तथा जल भी प्रदूषि नहीं होता।
हमारे देश में कई पवित्र कुंड पिरामिडकार हैं, जिनमें स्नान कर लेने मात्र से समस्त चर्म रोग दूर हो जाते हैं। इन कुंडों के पीछे भी पिरामिड की ऊर्जा शक्ति का सिध्दान्त ही कार्य करता है।
  वास्तुकला में पिरामिड की सरंचना स्थायित्व तथा भूकम्प आदि उत्पातों से सुरक्षा कर दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतीय तंत्र विद्या में इसके अनेकों सशक्त उदाहरण मिलते हैं। शैव मतों में  à¤¤à¤¥à¤¾ शाक्त मतों में विशेष रूप से पिरामिड / त्रिकोण का प्रयोग मिलता है। पंचमहाभूतों में अग्नि तत्व को उर्ध्वमुखी त्रिकोण की यंत्राकृति द्वारा ही सूचित किया जाता है। ‘ श्रीयंत्र’ 108 त्रिकोणों पर ही आधारित है। इस प्रकार  à¤‡à¤¸ पिरामिड शक्ति का उपयोग भारतीय यंत्र विद्या व तंत्र विद्या में महत्वपूर्ण है।

रोग प्रतिरोधक शक्ति तथा जीवनी शक्ति को बढ़ाने में पिरामिडीय शक्ति अत्यधिक उपयोगी सिद्ध होती है। सौभाग्य वर्धन तथा मनोकामनाओं की पूर्ति दृष्टि से भी पिरामिड की रहस्यमयी शक्तियों उपयोगी सिद्ध हो रही हैं।
खाद्य पदार्थों तथा अन्य स्थूल पदार्थों को समय तक यथावत बनाये रखने में पिरामिडीय  à¤«à¥à¤°à¤¿à¤œ, कोल्ड स्टोरेज के मुकाबले श्रेष्ठ सिद्ध होता है। वह न केवल खाद्य-पदार्थों को सड़ने-गलने से रोकता है बल्कि उन्हें ताजा बनाये रखता है, साथ ही उनकी गुणवत्ता भी अधिक समय तक बनाये रखता है। 
संसार भर के वास्तु शास्त्रियों, इंजीनियरों, पुरात्तववेत्ताओं, भूगर्भशास्त्रियों, इतिहासकारों और खगोलविदों ने सम्मिलित शोध द्वारा यह निष्कर्ष निकाला है कि विश्व के समस्त चैकोर भवन, पिरामिड आकृति यदि हम अपने घर में, दुकान में, कार्यक्षेत्र में रखें अथवा किसी भी रूप में शरीर पर धारण कर लें तो यह हमारे  à¤®à¥‡à¤‚ (पॉजिटिव) सकारत्मक प्रभाव को बढ़ाता है अथात् पॉजिटिव एनर्जी में अभूतपूर्ण वृद्धि करता है। पिरामिड का किसी भी रूप में उपयोग करना अपने जीवन को समृद्धिशाली व उन्नत बनाते हैं।
पिरामिड ज्ञान की लोकप्रियता लगातार वृद्धि की ओर अग्रसर है। इसी लोकप्रियता के कारण कई प्रमाणिक संस्थान वृह्द पिरामिड, नवग्रह पिरामिड, लक्ष्मी पिरामिड, मंगल पिरामिड, रोग निवारक पिरामिड, वास्तु पिरामिड, कल्पवृक्ष पिरामिड, राशि पिरामिड, स्फटिक पिरामिड, अष्टधातु पिरामिड, पारद पिरामिड सहित अंगूठी,  à¤²à¥‰à¤•à¥‡à¤Ÿ, ब्रेसलेट इत्यादि का निर्माण कर रहे हैं। इनका प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है।

आधुनिक युग में 60 प्रतिशत घर स्थान के अभाव में वास्तु अनुरूप नहीं बन पाते। बनने के पश्चात् दोषों को तोड़कर सहि कराना संभव नहीं हो पाता, जिससे भवन में रहने वालों को अनेकों परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आज के महंगाई के समय में, स्थान के अभाव में तोड़-फोड़ करके  à¤¦à¥à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ से घर को वास्तु अनुसार अनुकूल बनाना अत्यंत मुश्किल होता है। कुछ परिस्थिति में दरवाजे की सही दिशा न होने पर भी हम उसका परिवर्तन आसानी से नहीं कर पाते हैं, क्योंकि कभी-कभी ऐसा कठिन होता है। पिरामिड के प्रयोग से सभी प्रकार के वास्तु दोषों को सरलता से दूर किया जा सकता है। पिरामिड के सभी स्थापन मात्र से आत्मा, मन व परिवेश प्रसन्नता एवं समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। ऊर्जा को अनुकूल बनाने की अत्यंत उपयोगी विधि है। पिरामिड यंत्र केवल पिरामिड और यंत्र की सरल युति ही नहीं है बल्कि यह समस्या समाधान या विशेष कार्य की पूर्ति हेतु नाजुक और गतिशील ऊर्जा गुणक है। 
इसी प्रकार व्यवसायिक स्थलों में भी वास्तु दोष होने पर व्यवसाय प्रभावित होता है और उसके कारण मालिक दुःखी व चिंतित रहने लगता है। किसी भी प्रकार से भवन को तोड़कर वास्तु दोष दूर करना असंभव होता है। उपाय न करने उसका खामियाजा (नुकसान) मालिक को ही भुगतना पड़ता है। उदाहरणार्थ- दुकान/कार्यलाय में चोरी होना, कर्मचारियों द्वारा वस्तुओं की हेरा-फेरी का होना अथवा ग्राहकों को लाभ न मिलना आदि। इस प्रकार की हानि वास्तु दोष के कारण होती है।
पिरामिड को उचित स्थान पर स्थापित करने से नव निर्मित भवन के जाने-अनजाने समस्त दोषों का निवारण हो जाता है। रेमेडियल वास्तु की दृष्टि से भी पिरामिड अत्यंत उपयोगी है।
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