मोती चन्द्रमा का रत्न है।
      मोती-मोती धारण करने से अनिष्टों का नाश होता है और सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है। हिन्दुओं में लगभग भी जातियों में यह विश्वास है कि मोतियों की नथ स्त्रियों को पहनने से उनका सौभाग्य बना रहता है। आजकल जब फैशन में नथ पहनना अच्छा नहीं माना जाता, परन्तु शायद ही कोई बड़ी या छोटी जाति का हिन्दू पर हो, जिसमें कन्या विवाह के समय मोती की नथ न पहने।
      अर्थवेद में मुक्ता शब्द मिलता है। इसे महारत्नों में माना गया है। मुक्ता का अर्थ होता है शरीर की व्याधियों से मुक्ति दिलाने वाली वस्तु विशेष अर्थात् संसार से मोक्ष प्राप्त करने वाली विशिष्ट वस्तु। हमारे देश में सामान्य धारण है कि मोती को आभूषणोकं के रुप में अथवा रोग निवारणार्थ उसकी भस्म सेवन करने से अर्थ, कर्म काम इन पुरुषार्थ त्रय की प्राप्ति होकर अन्त में मोक्ष प्राप्त होती है।
      जो व्यक्ति आठ गुणों से युक्त अर्थात् सुतार (दीप्तिमान), सुवृत्त (गोल) स्वच्छ निर्मल, धन (दडकदार) स्निग्ध सुच्छाय और अस्फुटित (व्रण तथा रेखाओं से रहित) धारण करता है तो उस पर लक्ष्मी की असीम कृपा होती है और आयु में वृद्धि होती है। उसके समस्त पापों का नाश होता है। बल प्राप्त होता है। वृद्धि में कुशाग्रता आती है और धारणकत्र्ता उच्च स्थान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
      जो व्यक्ति आठ गुणों से युक्त अर्थात् सुतार (दीप्तिमान), सुवृत्त (गोल) स्वच्छ निर्मल, धन (दडकदार) स्निग्ध सुच्छाय और अस्फुटित (व्रण तथा रेखाओं से रहित) धारण करता है तो उस पर लक्ष्मी की असीम कृपा होती है और आयु में वृद्धि होती है। उसके समस्त पापों का नाश होता है। बल प्राप्त होता है। वृद्धि में कुशाग्रता आती है और धारणकत्र्ता उच्च स्थान और प्रतिष्ठा प्राप्त करता है।
      पीतछायायुक्तमोतीधारणकरनेसेलक्ष्मीकीकृपाहोतीहै।अरुणछायामुक्तमोतीसेबुद्धिबढ़तीहै।श्वेतछायायुक्तमोतीसेबुद्धिबढ़तीहै।श्वेतछायायुक्तमोतीयशप्रदानकरताहै।नीलीछायायुक्तमोतीसेभाग्यवान्बनताहै।
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