मूंगा मंगल का रत्न है।
       मूंगा-मूंगा या प्रबाल चार प्रकार का होता है।
       बा्रह्मण प्रवाल-यह खरगोश के रक्त के रंग के सामन लाल, कोमल स्निग्ध होता है और उसमें सरलता से छेद किया जा सकता है।
       क्षत्रिय प्रवाल-गुडहल के फूल के समान या सिन्दूर के रंग के समान होता है। यह स्निग्ध तो होता ही है, परन्तु कठोर भी होता है।
       वैश्य प्रवाल-यह पलाश के फूल के समान पीला-लाल या गुलाब के फूल के समान गहरे रंग का होता है और स्निग्ध होती है। उसकी कान्ति क्षीण होती है।
       शुद्र प्रवाल-वह होता है जो लाल कमल के दल के रंग का , कठोर और स्थायी रुप में कान्ति रहित होता है। उसमें सरलता से छिद्र नहीं किया जा सकता।
       मूंगा धारण करने वाले का साहस बढ़ता है और उसके क्षत्रुओं का नाश होता है। स्त्रियों को मूंगा सौभाग्य प्रदान करता है।
       ऐसा विश्वास है कि असली मूंगा अपने रंग को बदलकर स्वास्थ्य के बिगड़ने को चेताबनी देता है। इसको धारणा करने से यदि भयानक स्वप्न आते हों तो बन्द हो जाते हैं। भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति प्राप्त होती है।
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