नीलम शनि का रत्न है।
       नीलम-ब्राह्मणा वर्ण का नीलम सफेद में नीली आभा वाला या उज्ज्वल नीले रंग का होता है। क्षत्रिय वर्ण, नीले रंग में रक्त आभा वाला होता है। वैश्य वर्ण वाला नीलम सफेद में गहरा नीला होता है। शूद्र वर्ण के नीलम में श्याम आभायुक्त नीला रंग होता है।
       चिकना, चमकदार, साफ, मोर पंख के समान रंग वाला नीलम उत्तम और गुणवान् होता है। यह रत्न परीक्षा करने के पश्चात् धारण किया जाता है। यदि यह किसी को शुभ फलदायक सिद्ध हो तो रोग, दोष दुःख-दारिद्र नष्ट करके धन-धान्य, सुख-सम्पत्ति, बुद्धि बल, यश, आयु और कुल सन्तति की वृद्धि करता है। खोई हुई सम्पत्ति वापस मिल जाती है। मुख की कान्ति और नेत्रों की ज्योति बढ़ती है।
       यह कहा जाता है कि नीलम को पानी में डूबोकर उस पानी से बिच्छू का काटा स्थान धोया जाये तो विष का प्रभाव नष्ट हो जाता है। यदि नीलम तावीज के रुप में पहनन जाये तो जादू-टोने के प्रभाव को दूर करता है। यह भी कहते हैं कि यदि शत्रु के षड्यन्त्र की चेतावनी अपना रंग फीका करके दे देता है।
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