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पिरामिड का संक्षिप्त इतिहास
पिरामिड की उत्पति, उद्भव विकास, स्वरूप व रहस्य: पिरामिड मिस्र की वास्तुकला, स्थापत्य कला, वैज्ञानिक प्रारूप व चमत्कारी कार्यों के लिए प्रसिद्ध है। मिस्र देश के साथ ही पिरामिड का उद्भव माना जाता हैं। पिरामिड के निर्माण से ही मिस्र को विश्व में प्रसिद्धि मिली है। मिस्र के पिरामिड वास्तुशास्त्र बेजोड़ और अद्भुत नमूने हैं, इसीलिए इन्हें दुनिया के आठ आश्चर्यों में गिना जाता है। पिरामिडों को बाहर से देखने पर ये कठोर और भद्दे लगते हैं क्योंकि इनमें ताजमहल व अजन्ता-एलोरा जैसे खूबसूरती नहीं है। फिर भी ये अपने चमत्कारिक प्रभावों व रहस्यों के कारण समस् संसार के आकर्षण का केंद्र हैं। भारत, मिस्र और यूनान-ज्ञान और कला की दृष्टि से सम्पूर्ण विश्व में अग्रणीय रहे हैं। आध्यात्म हो या नक्षत्र विज्ञान शिल्पकला हो या स्थापत्य और वास्तु दृष्टि से तीनों देशों ने अलग-अलग सिद्धांतों व शैलियों को अपनाया है और उनका विकास किया है, तथापि ज्ञान के सूक्ष्म तत्वों को समझने में इनमें काफी समानता है। सर्वमान्य तथ्यों के अनुसार पांच हजार वर्ष पूर्व पिरामिडों का निर्माण हुआ है। इनमें से जो सर्वाधिक रहस्यपूर्ण, महत्वपूर्ण और विशाल पिरामिड माना गया है। वह गीजा का पिरामिड है। इसका निर्माण ईसा पूर्व 3000 में होने का अनुमान किया जाता है। विराट आकार का यह पिरामिड तेइस लाख पाषाण खण्डों निर्मित है। प्रत्येक शिला को इतनी दक्षता से काटा गया है कि आधुनिक विज्ञानी और तकनीकी भी आश्चर्य से देखते रह जाते हैं। अधिकांश विद्वानों, पुरातत्ववेत्ताओं व इतिहासकारों का मत है कि मिस्र में पिरामिडों का उपयोग राजाओं की कब्र्रगाहों के रूप में किया जाता था। इस तथ्य पर यदि यदि रोशनी डालें, तो क्या राज मात्र अपनी कब बनवाने के लिए ऐसा दुरूह और घोर परिश्रम वाला प्रयास करते थे। जिसमें बेहिसाब धन, समय, शक्ति व श्रम का व्यय होता था यह युक्तिसंगत प्रतीत नहीं होता। इस प्रकार से कई प्रश्न रहस्यपूर्ण हैं। इसीलिए आज भी पिरामिडों के संबंध में कई पक्ष अंधकार में हैं। |