शयन कक्ष
एक आदर्श शयन कक्ष कैसा हो।
- घर के मुखिया या घर प्रमुख व्यक्ति का शयन कक्ष ( Master Bed Room ) घर के नेऋत्य भाग में ही होना चाहिए।
- कुँवारी लड़की एवं मेहमानों का शयन कक्ष घर के वाव्यय दिशा में हो, कुँवारी लड़की का इस जगह सोना उत्तम होता है और फिर उस लड़की की शादी जल्दी होती है।
- छोटे बच्चों या घर के वृद्ध व्यक्ति का शयन कक्ष ईशान में होना चाहिए।
- आग्नेय दिशा में शयन कक्ष न हो, यदि हो तो मेहमानों के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।
- ब्रह्म स्थान पर शयन कक्ष न हों।
- दरवाजे के सामने बिस्तर न लगाएँ। कमरे के नेऋत्य दिशा (SW) में ही बिस्तर लगाएँ।
- अगर ईशान में प्रवेश द्वार है तो दरवाजे के पीछे कपड़े, झाडू, जुते चप्पल न रखें।
- बिस्तर के ठीक सामने ड्रेसिंग टेबल, दर्पण न लगाएँ। दर्पण का प्रयोग सावधानी पूर्वक करें।
- आदर्श स्थिति में शयन कक्ष भवन के पीछे कार्नर पर होने चाहिए।
- पलंग की पीछे सुदृढ़ दीवार होनी चाहिए।
- शयन कक्ष में लिखने का कार्य पठन-अपठन अथवा कोई अन्य काम पूर्व अथवा पश्चिम की ओर मुँह करने से उस कार्य में अधिकाधिक यश प्राप्त होता है।
- दक्षिण की ओर सिर करके सोना लाभदायक होता है इसके पीछे वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। इसके विपरीत स्थिति में सोने से नींद ठीक प्रकार नहीं आती। ईशान की ओर पैर करके सोना बहुत बुरा माना जाता है।
- शयन कक्ष में कपड़ों की अलमारी वायव्य अथवा नेऋत्य के भाग में रखनी चाहिए।
- बीम के नीचे बिस्तर न लगाएँ शरीर के जिस हिस्से में बीम पड़ेगा उस हिस्से में तकलीफ होगी।
- शयन कक्ष में पूजा न करें। मूर्ति फोटो न लगाएँ। बच्चों के कमरे में पूजा कर सकते हैं।
- शयन कक्ष में हिंसक प्राणी, भाले, तीर-कमान, शेर की खाल, लड़ाई-झगड़े के दृश्य, हीरो-हीरोइन के फोटो न लगाएँ।
- शयन कक्ष में बन्द पड़ी घड़ी, स्वास्थ्य एवं धन में अवरोध को दर्शाता है।
- शयन कक्ष का रंग, सोने वाले की कुण्डली के आधार पर करें।
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