वैदूर्य केतु का रत्न है।
वैदूर्य (लहसुनिया)-श्वेत वर्ण प्रधान नील आभा युक्त वैदूय्र ब्राह्मण, श्वेत वर्ण प्रधान अरुण आभायुक्त क्षत्रिय, पीत वर्ण प्रदान नील आभायुक्त वैश्य और नील वर्ण प्रदान शूद्र वर्ण का होता है। वैदूर्य के धारण से सन्तान सुख और सम्पत्ति प्राप्त होती है और घर में आनन्द रहता है। नष्ट लक्ष्मी वापस आती है। दरिद्रता, दुःख व्याधि दूर होते हैं। भूत-प्रेत बाधा और रोग नष्ट होते हैं। यह शूरवीर बनाता है। शत्रु और अस्त्र-शस्त्र के आघात तथा दुर्घटना से रक्षा करता है। दोषी रत्न धारण करना विपत्तिकारक है। यदि धब्बे वाला हो तो शत्रु का भय होता है। गड्ढे वाला हो तो उदर रोग उत्पन्न करता है। भीतर डोरा हो तो नेत्र विकार उत्पन्न करता है। सुन्न रत्न से शरीर की व्याधियाँ सताती है। चीर वाला वस्त्र से आघात दिलाता है। अभ्रकी सन्तान नाश करता है। जाल वाला कारावास कराता है। रक्त दोषी गृह-कलह कराता है। रक्त बिन्दू वाला पुत्र को कष्ट देता है। मधु बिन्दु वाला स्त्री के लिये हानिप्रद होता है और काले बिन्दु वाला प्राण घातक होता है। श्वेत बिन्दु वाला भाइयों के लिये कष्टप्रद होता है। | ||||
|