चैरासी बहुमूल्य, मूल्यवान और अल्पमोली रत्न
  1. माण्क्यि या माणिक- यह लाल रेग का होता है। 24 रत्ती के ऊपर होने पर लाल कहलाता है। यह बहुमूल्य रत्न है। रंग में गुलाबी, श्याम या आसमानी भी होता है। माण्क्यि विस्तृत जानकारी हेतु
  2. मोती- मोती सफेद, लाल, पीले तथा काले रंग के होते है। मोती विस्तृत जानकारी हेतु
  3. मूंगा- इसका रंग लाल या सिंदूरी होता है। यह खनिज नही है। मूंगा विस्तृत जानकारी हेतु
  4. पन्ना- यह हरा, बोतली या हरी भाई के लिए सफेद होता है। पन्ना विस्तृत जानकारी हेतु
  5. पुखराज- यह रत्न पीला, सफेद तथा नीले रंग में प्राप्त है, इसका नाम पुष्प राग भी है। फूल मं जितने रंग होते है, उतने इसमें भी है। पुखराज विस्तृत जानकारी हेतु
  6. हीरा- सफेद, पीला, गुलाबी, लाल तथा काले रंग का होता है। हीरा विस्तृत जानकारी हेतु
  7. नीलम- इसका रंग नीला होता है। ये हल्के रंग के भी होते है। नीलम विस्तृत जानकारी हेतु
  8. गोमेद- गोमेद के कई रंग होते है, परन्तु जिस रत्न को हम गोमेद कहते है वह लाल धुयें के रंग का होता है। गोमेद विस्तृत जानकारी हेतु
  9. लहसुनिया- इसमें बिल्ली की आंख के समान सूत पडता है। इसी से इसको सूत्रमणि भी कहतें है। इसका रंग पीलापन लिए या हरित स्याही लिए हुए होता है। लहसुनिया विस्तृत जानकारी हेतु
  10. लालड़ी- गुलाब के फूल के रंग का रत्न होता है।
  11. फिरोजा- आसमानी रंग का होता है।
  12. रोमनी- यह गहरे लाल रंग का कुछ श्यामलता लिए होता है।
  13. जबरजद- यह हल्के रंग का होता है। इसमें सूत नही पड़ता।
  14. ओपल- सब रंगो में प्राप्त है। इस पर सब रंगो का अंबर पड़ता है।
  15. तुरमली- नरम पत्थर है। इसमें कई रंग के रत्न प्राप्त होते है।
  16. नरम- यह रत्न लाल जर्दपन तथा श्यामपन लिए होता है।
  17. सुनेहला- सोने के रंग के समान हल्का होता है।
  18. कटेला- बैंजनी रंग का नीले में धुआं मिला होता है।
  19. सितारा- गेरूवे रंग का रत्न जिस पा सोने के छीटे पड़े होते है।
  20. फिटक स्फटिक- सफेद बिल्लौर को कहते है।
  21. गौदन्ती- गाय के दाँत के समान थोड़ा जर्दपन लिए होता है। इसमें सूत भी पड़ते है।
  22. तामड़ा- काले रंग मंे लाली लिए होता है।
  23. लूधया- मजीठ के समान लाल रंग का होता है।
  24. मरियम- यह सफेद रंग का होता है। इसकी पालिश अच्छी होती है।
  25. मकनातीस- इसे चकमक पत्थर कहते है। यह सफेद रंग, कुछ श्यामपन लिए हुये होता है।
  26. सिंदूरिया- यह गुलाबी रंग कुछ सफेदी लिये होता है।
  27. नीली- नीलम जाति का होता है। परन्तु उसमें नरम और कुछ जर्दी लिए होता है।
  28. धूनेला- सोने के रंग का कुछ धुआंपन लिये हुए होता है।
  29. बैरूज- इसका हल्का हरा पन्ने का सा रंग होता है।
  30. मरगज- यह बिना पानी का हरे रंग का होता है।
  31. पितौनिया- यह हरे रंग का पत्थर होता है। जिस पर लाल रंग के छींटे होते है।
  32. बाँशी- हल्के हरे रंग का संगसम से नरम होता है। इसकी पालिश अच्छी होती है।
  33. दुर्वेनजफ- कच्चे धान के समान होता है। पालिश अच्छी होती है।
  34. सुलेमानी- काले रंग का पत्थर होता है। उस पर सफेद डोरा होता है।
  35. श्रालेमानी- यह भी सुलेमानी की जाति का होता है। इसका भूरा रंग होता है। जिस पर डोरा होता है।
  36. जजेमानी- यह भी सुलेमानी जाति का होता है। इसका भूरा रंग होता है। जिस पर डोरा होता है।
  37. सावोर- यह हरे रंग का होता है। इस पर भूरे रंग का डोरा पड़ता है।
  38. तुरसावा- यह बहुत नरम पत्थर होता है। गुलाबी रंग में कुछ जर्दी होती है।
  39. श्रहवा- इसका रंग गुलाबी होता है। उस पर बडे़-बड़े छींटे होते है।
  40. श्रावरी- यह काले रंग का पत्थर होता है।
  41. लाजवर्त- यह नीले रंग का नरम पत्थर होता है, जिसमें सफेद बिन्दु या चकते भी पड़े होते है। पहले इसी को नीलम समझा जाता है।
  42. कुदरत- यह काले रंग का होता है। उसके ऊपर सफेद जर्द दाग होते है।
  43. चित्ती- काले रंग का होता है। उसके ऊपर सोने का सा सफेद डोरा होता है।
  44. संगसन- यह सफेद अंगूरी रंग का होता है।
  45. लारू- जात मारवर की ।
  46. मारवर- यह बाँस जैसे रंग का, लाल तथा सफेद होता है।
  47. दान फिरंग- इसका रंग पिश्ते के समान हरा होता है।
  48. कसौटी- इस पत्थर को सोने की परीक्षा के लिए उपयोग में लाया जाता है।
  49. दारचना- यह दार चना के समान होता है।
  50. हकीक- गल बहार- यह जल में उत्पन्न होता है। इसका रंग हरा कुछ पीला-पन लिए होता है। इसकी माला बनाई जाती है।
  51. हालन- यह गुलाबी रंग का होता है। हिलाने पर इसका रंग भी हिलता है।
  52. सीजरी- यह सफेद रंग का होता है। इस पर काले रंग के वृक्ष का रूप बना होता है।
  53. मुबेनज्फ- यह सफेद रंग का होता है। इसमें बाल के समान रंगदार रेखा होती है।
  54. कहरूवा- यह लाल रंग का होता है। इसकी माला बनती है।
  55. भना- मटिया इसमें पानी देने से भड़ जाता है।
  56. संगबसरी- आँखों के लिये सुरमा बनाने के लिये उपयोग में आता है।
  57. दांतला- पीलापन लिये जूना शंख के समान
  58. मकड़ा- हल्का काला, ऊपर मकड़ी का जाला
  59. संगीया- शंख के समान सफेद। इसके घड़ी के लाकेट बनते हैं।
  60. गुदड़ी- कई तरह की, इसे फकीर लोग पहनते है।
  61. कामला- रंग हरा सफेदी लिये हुए।
  62. सिफरी- रंग आसमानी हरापन लिये हुए।
  63. हरीद- काला भूरापन लिये हुये। वजन भारी। इसकी माला बनती हैं।
  64. हवास- यह हरे रंग का कुछ सुनहला-सा होता है। दवा में काम आता है।
  65. सोंगली- यह माण्क्यि जाति का रत्न है। लाल रंग कुछ श्याम आभ लिये हुए।
  66. ढेडी- काला इसके खरल और प्याले बनते है।
  67. हकीक- सब रंग का इसके खिलौने, मूढे, प्याले बनते हैं।
  68. गौरी- सब रंग का इस पर सफेद सूत होता है। इसके प्याले तथा जवाहरात तौलने के बाट बनते है।
  69. सीया- काला इसकी मूतियाँ बनती है।
  70. सीमाक- यह लाल रंग का पीलापन लिये होता है। इस पर गुलाबी छींटे होते है। इसके खरलादि बनते है।
  71. मूमा- सफेद माटिया रंग इसके खरल, प्याले आदि बनते है।
  72. पनघन- यह काले रंग, कुछ हरापन लिये होता है। इसके खिलौने बनते है।
  73. श्रमलीया- थोड़ा कालापन लिये गुलाबी इसके खरल बनते है।
  74. डूर- कत्थे के रंग का इसके खरल बनते है।
  75. लिलियर- काला रंग, उस पर सफेद छींटे खरल बनते है।
  76. खारा- काला हरापन लिये। खरल बनते है।
  77. पारा जहर- सफेद बाँस जैसा। घाव पर लगाने से घाव ठीक हो जाता है। विषैले घाव शीघ्र ठीक हो जाते है।
  78. सोर खड़ी- रंग मिटी के समान खिलौने बनते है।
  79. जहर मोहरा- कुछ हरापन लिये हुये सफेद। इसके प्याले में विष भी अपने कुप्रभाव को खो बैठता है।
  80. रवात- यह लाल रंग का होता है। रात में ज्वर आये तो बगल में बाँधने से लाभ होता है। यह नीले रंग का भी होता है। जिसका औषधि बनाने में उपयोग होता है।
  81. सोहन मक्खो- सफेद मिटी के समान मूत्र रोग में पहुंचाता है।
  82. हजरते ऊद- काला, आँख के लिये औषधि बनती है।
  83. सुरमा- काला
  84. पारस- लोहे को स्पर्श करे तो सोना बन जाये। यह दुर्लभ वस्तु है।
Bhavishy Darshan
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