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ज्योतिष क्यों आवश्यक हैं ?
ज्योतिष प्रकाश का स्वरुप है। ज्योतिष, इन दोनों को मिला दिया जाऐ तो इसका मतलब भी यही है ‘प्रकाश का स्वामी’। प्रकाश के स्वामी सूर्य देवता है। सूर्य देवता से पूरा ब्रह्माण्ड संचालित होता हैं प्रकाश की गति को आज वैज्ञानिक भी मानते हैं। पूरे ब्रह्माण्ड में प्रकाश की गति को जब मापा जाता है तो इसे प्रकाश वर्ष भी बोला जाता है। ब्रह्माण्ड ऐसा है किलोमीटर व मील में संभव नहीं है प्रकाश एक सैकण्ड में एक लाख 86 हजार 300 मील की दूरी तय कर लेता है। इसी प्रकाश का प्रभाव हमारे मन पर होता है इसलिये मन के विचार लगातार परिवर्तित होते रहते हैं। ज्योतिषशास्त्र एक रोचक, गूढ़ व गम्भीर विषय है। यह जीवन के अज्ञात और दुर्गम रास्तो को सुगम बनाने में मार्गदर्शक का कार्य करता है। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि किसी रोग के आगे औषधियाँ और चिकित्सक असफल हो जाते है और कह देते है कि प्रार्थना व दुआ करो ऐसे समय पर प्रार्थना, आराधना, आर्शीवाद यंत्र-मंत्र-जप-दान, ज्योतिषी के सलाह से किये जायें तभी अतिशीध्र एवं पूर्ण लाभ प्राप्त होता है। ज्योतिष भविष्य की योजना का उपयुक्त एवं सटीक साधन है। अनेक लोग प्रश्न करते हैं कि जब ज्योतिष शास्त्र अपने में पूर्ण है तो भविष्यवाणियाँ गलत क्यों होती है? दोष अथवा कमी ज्योतिषशास्त्र में नहीं हैं। अपूर्ण ज्ञान के कारण भविष्यवक्ता की गणना आदि में कमी रह जाती है और बदनाम होता है ज्योतिषशास्त्र। आज के इस वैज्ञानिक युग में अनेक सफल व्यापारी, राजनीतिज्ञ, उच्च अधिकारी आदि वास्तुशास्त्र, ज्योतिषशास्त्र एवं अंकविज्ञान से मार्गदर्शन प्राप्त कर उन्नति के शिखर पर पहुँचें हैं। ज्योतिषशास्त्र के बारे में भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है। ज्योतिषशास्त्र में अधिकतर समस्या का ज्ञान मौजूद है। |
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