सभ्यता के विकास की शुरुआत ही भवन-निर्माण से हुयी थी। भवन-निर्माण का यह सिलसिला आगे चला। मनुष्य ने महलों, भवनों, नगरों का निर्माण किया। अनेक भवन वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों के अनुरूप बसाये गये और किसी जगह इन सिद्धान्तों का पालन नहीं हो पाया। जिसके कारण उन स्थानों की प्रगति नहीं हो पायी। यदि हम अपने जीवन में वास्तुशास्त्र के सिद्धान्तों का पालन करते हैं तो परिणाम तत्काल व निश्चित प्राप्त होते हैं। परन्तु वास्तु ‘मानव कृति’ है एवं मानव का स्तम्भ है। मनुष्य भूल करता है तो उसे अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसीलिये यदि भवन निर्माण के पश्चात् यदि किसी प्रकार का दोष रह जाता है तो उसके निवारण हेतु विभिन्न वास्तुर्विदों ने एकमत होकर उससे बचने के कुछ उपाय निकाले हैं आज हम आपको इन महत्वपूर्ण व कारगर उपायों के विषय में बता रहे है। इन उपायों वे हम मुख्यतः दो भागों में विभिक्त करते हैं। (1) वैदिक वास्तु उपाय (2) फेंगशुई व आन्तिरिक साज-सज्जा के उपाय
Pooja/Tantra पूजा / तंत्र
आपकी वर्तमान एंव भविष्य की परेशानियों एंव कष्टों को दूर करने हेतु मंत्र तंत्र, अनुष्ठान एंव यज्ञ का प्रावधान है जिससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एंव शिक्षा आदि परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
सिद्ध यंत्र, सिद्ध लाकेट, सिद्ध रुद्राक्ष एंव सिद्ध मालायें धारण करने एंव मंत्रों के जाप से पति-पत्नि बशीकरण, मुकदद्मा जीतने, शिक्षा एंव नौकरी की रूकावटों, शारीरिक, मानसिक परेशानी दूर की जा सकती है।
हम अपनी ज्योतिष, तंत्र शिक्षा प्रसार समिति द्वारा ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र एवं अंकविज्ञान आदि की शिक्षा प्रदान करते है। यह संस्था अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ, नई दिल्ली से सम्बद्ध (affilated) है।
आपको ज्योतिष एंव वास्तु का ज्ञान प्रदान करके जीवन की उन्नति हेतु हम द्वि-मासिक
"भविष्य निर्णय" पत्रिका, भविष्य दर्शन पंचांग कालदर्शक (कलेण्डर) एवं लघु पाकेट पंचांग का प्रकाशन करते हैं।
DISCLAMER-There are no guarantees that every person using this service will get their desired results for sure. Astrological results depend on a lot of factors and the results may vary from person to person.