Favourable Gems/राशि रत्न Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट Baby Names/बच्चों के नाम |
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मासिक धर्म नियमित करने के लिए मुद्रा
(मासिक धर्म मुद्रा / Mensis Mudra)
इस मुद्रा के लिए चित्र के अनुसार दोनों हाथों की अंगुलियों को इस तरह फसाएं कि दोनों अंगूठों का अग्रभाग स्पर्श हो। दाहिने हाथ की तर्जनी को बाएं हाथ की तर्जनी और मध्यमा के बीच फंसा दे। दाहिने हाथ की मध्यमा को बाएं हाथ की मध्यमा और अनामिका के ऊपर से ले जाकर कनिष्ठा के नीचे फंसा दें। दाहिने हाथ की अनामिका को बाएं हाथ की तर्जनी और मध्यमा के बीच से होकर बाएं हाथ की बाकी सभी अंगुलियों के नीचे लगाएं। अब दाहिने हाथ की कनिष्ठा को वाएं हाथ की कनिष्ठा से ऊपर रखें। लाभ इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से मासिक धर्म से संबन्धित समस्याएं दूर हो जाती है। यह मुद्रा मांसपेशियों और नाड़ियों को आराम देती है। जिससे दबाब तनाब व क्रोध के आवेग को नियंत्रित करने की क्षमता बढ़ती है। इस मुद्रा के अभ्यास से अतिस्त्राव का भी नियंत्रण होता है। यह मुद्रा पेट की शीतलता प्रदान करती है और मस्तिष्क की कोशिकाओं को सक्रिय करती है। प्राण मुद्रा यह मुद्रा अन्य प्राकृतिक उपचारों की तरह है। कुछ विशेष योग क्रियाएं खासकर प्राण मुद्रा मासिक स्त्राव के समय मांसपेशिाों की एंेठन कम करती है। इस मुद्रा से अति रक्तस्त्राव, श्रोणि (पेल्विक) कष्ट, मासिक स्त्राव और पीठ के निचले हिस्से के दर्द को आराम मिलता है। उपर्युक्त ध्यान और स्वस्थ आहार के साथ-साथ इस मुद्रा के नियमित अभ्यास से महिलाओं को मसिक चक्र के समय होने वाली समस्याओं से भावनात्मक रूप से शक्ति मिलती है। प्राणायाम से उपचार सांस लेने का सही तरीका योग से सीखा जा सकता है। यह काॅलेस्ट्रल स्तर को नियंत्रित करने की कुंजी है। अधिकतर लोग सांस लेने और छोडने के समय पेट को अंदर-बाहर करने में गलतियां करते है। संास लेने का सही तरीका है जब संास अंदर ले तो पेट को बाहर धकेले और जब छोड़े तो पेट को अंदर की ओर करें। जहां तक संभव हो इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें। दैनिक जीवन में इस प्रक्रिया को उतारें। विधि-1 गहरा और जल्दी संास लेने की प्रक्रिया भस्त्रिका प्राणायाम कहलाती है। यह शरीर में अधिक आॅक्सीजन पहुंचाने में मदद करती है। इससे हमारे शरीर की कोशिकाएं बेहतर तरीके से क्रियाशील होती है। आचार्य केशवदेव जी महाराज कहते है। कि इस प्राणायाम को नियमित रूप से करने से शरीर से अतिरिक्त वसाओं का नाश हो जाता है। और काॅलेस्टाल कम हो जाता है। साथ ही एचडीएल ऊपर उठ जाता है। इससे अतिरिक्त वसा शरीर से निकल जाती है और शरीर हल्का हो जाता है। विधि-2 दूसरा प्राणायाम शीतली कुंभक है। इसके करने से काॅलेस्ट्रल कम होता है और पूरे शरीर में एक रक्त संचार की क्रिया सामान्य होती है। इससे रक्त का शुद्धिकरण होता है और शरीर से हानिकारक तत्वों का निकास होता है। प्रक्रिया इस प्राणायम के लिए जीभ को इस तरह मोडे कि नली के समान हो जाए और मुह को आगे की तरह करके खोलें। धीरे धीरे मुँह से हवा भीतर ले जाएं। हवा को अंदर ले जाते समय गले में ठंडक महसूस करेंगें। अब हवा को घोंट ले और पेट में रोके रखें। कुछ सेंकड तक हवा को पेट में रोके रखने के बाद धीरे-धीरे नाक से छोड़े। इस क्रिया को 8 से 10 मिनट तक भोजन भोजन लेने से पहले करें। |
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