Favourable Gems/राशि रत्न Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट Baby Names/बच्चों के नाम |
||||||||||||||||||||||||||
|
||||||||||||||||||||||||||
फाल्गुन कृष्ण-पक्ष की चतुर्दशी भारतीयों में ‘शिवरात्रि’ के नाम से प्रसिद्ध है और वह भगवान् शंकर की आराधना का प्रमुख दिन हैं विश्व की तीन सर्वोच्च शक्तियों में अन्यतम शिव हैं और वेदों से लेकर भाषा ग्रन्थों तक में शिव की महत्ता और गरिमा के सम्बन्ध में इतना वर्णन किया गया है कि यदि उसक एकत्र संग्रह हो तो महाभारत जैसी सहस्त्रों नहीं तो सैकडों पुस्तकें अवश्य ही तैयार हो सकती हैं। प्रस्तुत पर्व उन्हीं देवाधिदेव भगवान् शंकर का प्रिय पर्व है। रात्रि की क्यों? अन्य देवों का पूजन जबकि दिन में ही होता है तब भगवान शंकर को रात्रि ही क्यों प्रिय हुई और वह भी फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि ही क्यों? यह बात सुविदित है कि भगवान् शंकर संहार शक्ति और तमोगुण के अधिष्ठाता हैं अतः तमोमयी रात्रि से उनका स्नेह स्वाभाविक ही है। रात्रि संहार काल की प्रतिनिधि है, उसका आगमन होते ही सर्वप्रथम प्रकाश का संहार, जीवों की दैनिक कर्म-चेष्टाओं का संहार और अन्त में निद्रा द्वारा चेतनता का ही संहार होकर सम्पूर्ण विश्व में निद्रा द्वारा चेतनता का ही संहार होकर सम्पूर्ण विश्व संहारिणी रात्रि की गोद में अचेतन होकर गिर जाता है। ऐसी दशा में प्राकृतिक दृष्टि से शिव का रात्रिप्रिय होना सहज ही हृदयंगम हो जाता है। यही कारण है कि भगवान् शंकर की आराधना न केवल इस रात्रि में ही किन्तु सदैव प्रदोष (रात्रि प्रारम्भ होने पर) समय में की जाती है। शिवरात्रि का कृष्ण-पक्ष में ही आना भी साभिप्राय ही है। शुक्ल पक्ष में चन्द्रमा पूर्ण होता है और कृष्ण-पक्ष में क्षीण। उसकी बृद्धि के साथ-साथ संसार के सम्पूर्ण रसवान् पदार्थो में वृद्धि और क्षय के साथ-साथ उनमें क्षीणता स्वाभाविक एवं प्रत्यक्ष है। क्रमशः घटते-घटते वह चंद्र अमावस्या को बिलकुल क्षीण हो जाता है। चराचर के यावन्मात्र मनों के अधिष्ठाता उस चन्द्र के क्षीण हो जाने से उसका प्रभाव ‘अण्डपिण्डवाद’ के अनुसार सम्पूर्ण भूमण्डल के प्राणियों पर भी पड़ता है और उन्मना जीवों के अन्तःकरण में तामसी शक्तियों प्रबुद्ध होकर अनेक प्रकार के नैतिक व सामाजिक अपराधों का कारण बनती हैं। इन्हीं शक्तियों का अपर नाम आध्यात्मिक भाषा में भूत-प्रेतादि है और शिव को इनका नियामक माना जाता है। दिन में यद्यपि जगदात्मा सूर्य की स्थिति से आत्मतत्त्व की जागरुकता के कारण ये अपना विशेष प्रभाव नहीं दिखा पातीं किन्तु चन्द्रविहीन अन्धकारमयी रात्रि के आगमन के साथ ही वे अपना प्रभाव दिखाने लग जाती हैं। इसलिए जैसे पानी आने से पहले ही पुल बांधा जाता है, इसी प्रकार इस चन्द्रक्षय तिथि के आने से सद्यःपूर्व ही उन सम्पूर्ण तामसी बृत्तियों के उपशमनार्थ इन वृत्तियों के एकमात्र अधिष्ठाता भगवान् आशुतोष को आराधना करने का विधान शास्त्रकारों ने किया है यही विशेषतया कृष्ण चतुर्दशी की ही रात्रि में शिव आराधना का रहस्य है। परन्तु यह कृष्ण चतुर्दशी तो प्रत्येक मास में आती है, वे ‘शिवरात्रि’ क्यों नही कहलातीं, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी में ही क्या विशेषता है- जरा यह रहस्य भी लगे हाथों समझ लेना चाहिए। जहाँ तक प्रत्येक मास की चतुर्दशी के शिवरात्रि कहलाने का प्रश्न है, तो निश्चय ही वे सभी शिवरात्रि ही हैं और पंचागों में उन्हें इसी नाम से स्मरण भी किया ही जाता है। अधिक फाल्गुन की यह शिवरात्रि ‘महा शिवरात्रि’ के नाम से पुकारी जाती है। हमारी पूर्वोल्लिखित स्थापना के अनुसार जिस प्रकार क्षयपूर्ण तिथि (अमावस्या) के दुष्पप्रभाव से बचने के लिए उससे ठीक एक दिन पूर्व चतुर्दशी को यह उपासना की जाती है उसी प्रकार क्षय होते हुए वर्ष के अन्तिम मास से ठीक एक मास पूर्व ही इसका विधान शास्त्रों में मिलता है जो कि सर्वथा युक्तिसंगत है। सीधे शब्दों में हम कहे तो कह सकते है कि यह पर्व वर्ष के उपान्त्य मास और उस मास की भी उपान्त्य रात्रि में मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त हेमन्त वात्य रुपी प्रखर हंसिया सम्भाले, वनों पर्वतों को शुष्क और उजाड़ बनाने वाला प्रकृति का संहारकारी रुप इसी मास में प्रकट होता दिखलाई पड़ता है जिसका सामन्जस्य शिव के रौद्र रुप से सर्वथा स्पष्ट ही है। अथच रुद्रों के एकादश संख्यात्मक होने के कारण भी यह पर्व 11 में मास में ही सम्पन्न होता है। संहार के अधिष्ठाता होते हुए भी भगवान शंकर कहलाते शिव=कल्याण कारक ही हैं। इसका कारण यह है कि सर्वदा लय में ही उतपत्ति के बीज छिपे रहते हैं, बिना एक वस्तु के विनाश हुए संसार में दूसरी कभी उत्पन्न नहीं होती। अतः जबकि उत्पत्ति के लिए संहार अनिवार्य है तो संहार कार्य करके शिव संसार का कल्याण ही तो करते हैं, इसीलिए वे शिव हैं। |
||||||||||||||||||||||||||
|
|
|||||||||||||||||||||||||
|
|
|||||||||||||||||||||||||
|
| |||||||||||||||||||||||||
DISCLAMER-There are no guarantees that every person using this service will get their desired results for sure. |