Bhavishy Darshan
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Favourable Gems/राशि रत्न


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Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट

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दीक्षान्त समारोह फोटो

 
सूर्य की उपासना में जल (अर्ध) क्यों?
      स्वस्थ रहने के लिए जितनी शुद्ध हवा आवश्यक है, उतना ही प्रकाश भी आवश्यक है। इसलिए कहा जाता है कि प्रकाश में मानव शरीर के कमजोर अंगो को पुनः सशक्त और सक्रिय बनाने की अदभुत क्षमता है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर ही हमारे पूर्वजों ने सूर्य को अर्ध देने का विधान बनाकर इसे धार्मिक रुप दे दिया।
      गायत्री मंत्र के साथ सूर्य को अर्ध देने के पीछे रहस्य यह है कि मंदेह नामक सुक्ष्म जीवाणुओं का नाश होता है।
      मंदेह जीवाणु उन्हें कहते हैं, जो अंधकार और प्रकाश के मिलने से स्वयं पैदा हो जाते हैं एवं लोगों को हानि पहुंचाते है। इसलिए संध्या कर्म भी इसी संधिकाल में करने का विधान है। उल्लेखनीय है कि इसमें भगवान् सूर्य प्रसन्न होकर आयु, आरोग्य, धन, धान्य, क्षेत्र, पुत्र, मित्र, तेज, वीर्य, यश, कांति, विद्या, वैभव और सौभाग्य आदि प्रदान करते हैं। और सूर्यलोक की प्राप्ति होती है।
Pooja/Tantra           पूजा / तंत्र

    आपकी वर्तमान एंव भविष्य की परेशानियों एंव कष्टों को दूर करने हेतु मंत्र तंत्र, अनुष्ठान एंव यज्ञ का प्रावधान है जिससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एंव शिक्षा आदि परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

विवाह तंत्र घट विवाह अनुष्ठान अनुकूल रत्न
 
Our Products           हमारे उत्पाद

    सिद्ध यंत्र, सिद्ध लाकेट, सिद्ध रुद्राक्ष एंव सिद्ध मालायें धारण करने एंव मंत्रों के जाप से पति-पत्नि बशीकरण, मुकदद्मा जीतने, शिक्षा एंव नौकरी की रूकावटों, शारीरिक, मानसिक परेशानी दूर की जा सकती है।

सिद्ध पूजा यंत्र सिद्ध-रुद्राक्ष मालायें सिद्ध लाकेट
Education              शिक्षा

    हम अपनी ज्योतिष, तंत्र शिक्षा प्रसार समिति द्वारा ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र एवं अंकविज्ञान आदि की शिक्षा प्रदान करते है। यह संस्था अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ, नई दिल्ली से सम्बद्ध (affilated) है।

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Publications           प्रकाशन

    आपको ज्योतिष एंव वास्तु का ज्ञान प्रदान करके जीवन की उन्नति हेतु हम द्वि-मासिक "भविष्य निर्णय" पत्रिका, भविष्य दर्शन पंचांग कालदर्शक (कलेण्डर) एवं लघु पाकेट पंचांग का प्रकाशन करते हैं।

पत्रिका कलेण्डर पंचांग लेख

 
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