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Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट

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दीक्षान्त समारोह फोटो

 
दीपावली पर लक्ष्मी पूजन क्यों?
      हर हिंदू परिवार में दीवाली की रात्रि को धन-दौलत की प्राप्ति हेतु लक्ष्मी का पूजन होता है। ऐसा माना जाता है कि दीवाली की रात लक्ष्मी घर में आती हैं। इसीलिए लोग देहरी से घर के अंदर जाते हुए लक्ष्मीजी के पांव (पैर) बनाते हैं। पुराणों के आधार पर कुल और गोत्रादि के अनुसार लक्ष्मी-पूजन की अनेक तिथियां प्रचलित रहीं, लेकिन दीपावली पर महालक्ष्मी पूजन को विशेष लोकप्रियता प्राप्त हुई है। व्यापारी वर्ग के लिए तो लक्ष्मी पूजन का महत्व और भी अधिक होता है। वे पूजा के उपरांत अपनी नई बहियों पर शुभ-लाभ, श्री गणेशाय नमः, श्री लक्ष्मीजी सदा सहाय और स्वस्तिक व ऊँ को भी लिखते हैं, फिर लेखा-जोखा आरंभ करते हैं।
      लक्ष्मी को चंचला कहा गया है, जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। अतः उस स्थायी बनाने के लिए कुछ उपाय, पूजन, आराधाना, मंत्र जाप आदि का विधान है। लक्ष्मी साधना गोपनीय एवं दुर्लभ कही गई है। इसका मुख्य कारण विश्वामित्र का कठोर आदेश ही है। विश्वामित्र ने कहा था-‘इस लक्ष्मी &#      लक्ष्मी को चंचला कहा गया है, जो कभी एक स्थान पर रूकती नहीं। अतः उस स्थायी बनाने के लिए कुछ उपाय, पूजन, आराधाना, मंत्र जाप आदि का विधान है। लक्ष्मी साधना गोपनीय एवं दुर्लभ कही गई है। इसका मुख्य कारण विश्वामित्र का कठोर आदेश ही है। विश्वामित्र ने कहा था- इस लक्ष्मी प्रयोग को सदैव गुप्त ही रखना चाहिए और जीवन के अंत में अपने अत्यंत प्रिय एवं सुयोग्य शिष्य को लक्ष्मी आबद्ध साधना समझाई जानी चाहिए।
     रावण संहिता- में रावण कहता है कि लक्ष्मी साधना इस धरती की सर्वश्रेष्ठ साधना है,जिसे मैंनें धनाधीश कुबेर से सीखा है। इसी साधना के बल पर मैंने लंका को सोने की बना दिया है।
     गोरक्ष संहिता- में गुरू गोरखनाथ ने भी विश्वामित्र विरचित लक्ष्मीसाधना को सर्वोत्तम बताया है। योगीराज श्रीकृष्ण ने अपनी द्वारिका को स्वर्णमयी बनाकर यह सिद्ध कर दिया था कि लक्ष्मी साधना के द्वारा धनवान बना जा सकता है।
      महर्षि वसिष्ठ ने कैकय नरेश से युद्ध करते समय राजा दशरथ को अतुलनीय स्वर्ण कर्ज के रूप में दिया था। यह सब लक्ष्मी साधना का ही प्रताप था। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के लक्ष्मी के प्रकट होने पर इंद्र ने उनकी स्तुति की, जिससे प्रसन्न होकर लक्ष्मी ने इंद्र को वरदान दिया कि तुम्हारे द्वारा दिए गए इस द्वादशाक्षर मंत्र का जो व्यक्ति नियमित रूप से प्रतिदिन तीनो संध्याओं में भक्तिपूर्वक जप करेगा, वह कुबेर के सदृश ऐश्र्य युक्त हो जाएगा। इस प्रकार लक्ष्मी जी की पूजन विधि प्रचलित हुई।
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    आपकी वर्तमान एंव भविष्य की परेशानियों एंव कष्टों को दूर करने हेतु मंत्र तंत्र, अनुष्ठान एंव यज्ञ का प्रावधान है जिससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एंव शिक्षा आदि परेशानियों को दूर किया जा सकता है।

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