à¤à¤¾à¤°à¤¤ के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ ऋषि-मà¥à¤¨à¤¿ तथा ततà¥à¤µ वेतà¥à¤¤à¤¾à¤“ं ने यह सिदà¥à¤§ कर दिया है कि सरà¥à¤µà¤¾à¤§à¤¿à¤• ऊरà¥à¤œà¤¾ तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ तथा उसके केंदà¥à¤°à¥‹à¤‚ से उपजती है। इसी कारण तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ को शकà¥à¤¤à¤¿ का सà¥à¤°à¥‹à¤¤ माना गया है। पिरामिड चूंकि चार तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ से बनी आकृति है। अतः यह सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤• है कि जिस वसà¥à¤¤à¥ या आकृति में चार तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£à¥‹à¤‚ से संलगà¥à¤¨ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ बनेगी वह चार गà¥à¤¨à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¿à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करेगी। अतः पिरामिड जो चार संलगà¥à¤¨ तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• है, सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करने वाला है। पिरामिड के दो कोण नींव से 58 डिगà¥à¤°à¥€ तथा तीसरा कोण शिखर पर 64 डिगà¥à¤°à¥€ पर होता है। चार तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œà¤¾à¤•à¤¾à¤°à¥€ दिशाà¤à¤‚ शकà¥à¤¤à¤¿ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करती हैं वरà¥à¤—ाकार नींव ऊरà¥à¤œà¤¾ का पà¥à¤°à¤¸à¤¾à¤° करती है।
पिरामिड की तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ आकृति का मधà¥à¤¯ कोण अतà¥à¤¯à¤¾à¤§à¤¿à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ है, जिसके मधà¥à¤¯ में अगà¥à¤¨à¤¿ का वास है। अंदर से खोखला होने के कारण शà¥à¤¦à¥à¤§ वायॠको अपने अंदर à¤à¤•à¤¤à¥à¤°à¤¿à¤¤ रखता है, जिससे पिरामिड के नीचे वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ अधिक समय तक सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रहती हैं। किसी दिशा विशेष में दोष होने पर उस दिशा में ऊरà¥à¤œà¤¾ को बà¥à¤¾à¤¨à¥‡ के लिठइनका पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— किया जाता है।
पिरामिड में किसी à¤à¥€ पदारà¥à¤¥ के मूल कणों का विखंडन नहीं होता। पदारà¥à¤¥ यथावत और उपयोगी बना रहता है। यह जिस सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर हौगा वहां विखंडन, बिखयाव à¤à¤µà¤‚ अलगाव नहीं होगा। साथ ही यह वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¥€ को अकà¥à¤·à¥à¤£à¥à¤£ रखता है। इसमें किसी à¤à¥€ पदारà¥à¤¥ के बिखरेे कणों को पà¥à¤¨à¤ƒ शकà¥à¤¤à¤¿à¤•à¥ƒà¤¤ करने की कà¥à¤·à¤®à¤¤à¤¾ होती है। इसीलिठइसका उपयोग वासà¥à¤¤à¥ और वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पर किया जाय तो वह चमतà¥à¤•à¤¾à¤°à¥€
परिणाम पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करता है साथ ही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की शारीरिक, मानसिक और बौदà¥à¤§à¤¿à¤• शकà¥à¤¤à¤¿ को कà¥à¤·à¥€à¤£ होने से बचाता है तथा उसे सà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ और दीदà¥à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥ बनाये रखता है। इसमें कोई à¤à¥€ दूषित ततà¥à¤µ या दà¥à¤°à¥à¤—ंध नहीं रह पाती। किसी à¤à¥€ तरह का वासà¥à¤¤à¥ दोष हो या वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ खराब हो, तो पिरामिड से उस दोष का निवारण निशà¥à¤šà¤¯ ही होता है।
पिरामिड में चार तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¥‡à¤£à¥‹à¤‚ के कारण सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ व पà¥à¤°à¤—तिशीलता चैगà¥à¤¨à¥€ हो जाती है। कोई à¤à¥€ अनà¥à¤¯ आकृति दवाब से आकार बदल देती है जौसे - गोलाकार वसà¥à¤¤à¥ दवाब से अंडाकार हो जाती है लेकिन तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ किसी à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¥€ में तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ ही रहेगा। इसलिठतà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ को सà¥à¤¥à¤¿à¤°à¤¤à¤¾ का सूचक माना गया है।
पिरामिड अनंत ऊरà¥à¤œà¤¾ का à¤à¤‚डार है। पिरामिड को उसकी विशेष संरचना से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होती है। पिरामिडाकार अलौकिक ऊरà¥à¤œà¤¾ का यंतà¥à¤° है। पिरामिड मानव की अंतरà¥à¤¨à¤¿à¤¹à¤¿à¤¤ ऊरà¥à¤œà¤¾ को विदà¥à¤¯à¥à¤¤à¥€à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता है। पिरामिड से सूकà¥à¤·à¥à¤® तरंगें निरंतर पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होती रहती है। पिरामिड की शकà¥à¤¤à¤¿ à¤à¤µà¤‚ रहसà¥à¤¯ à¤à¥Œà¤¤à¤•à¤¤à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ तो है ही, इसका संबंध आतà¥à¤®à¤¾ व मन के साथ à¤à¥€ है। पिरामिड आतà¥à¤®à¤¾ व मन को सीधे पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता है। पिरामिड का विषय हमेशा से मनà¥à¤·à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठà¤à¤• रहसà¥à¤¯à¤ªà¥‚रà¥à¤£ पहेली के रूप में रहा है। पिरामिड की शकà¥à¤¤à¤¿ व संरचना के विषय में समय-समय पर वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤•à¥‹à¤‚ ने व पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¤à¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥‹à¤‚ ने खोज व अनà¥à¤¸à¤‚धान किये हैं, फिर à¤à¥€ काफी कà¥à¤› à¤à¤¯à¤¾ है जो अब à¤à¥€ परीकà¥à¤·à¤£ के योगà¥à¤¯ हैं। वैाानिकों के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पिरामिड में असीमित ऊरà¥à¤œà¤¾ शकà¥à¤¤à¤¿ है।। जिस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° पिरामिड की विदà¥à¤¯à¥à¤¤ चà¥à¤®à¥à¤¬à¤•à¥€à¤¯ शकà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤‚ केंदà¥à¤°à¥€à¤à¥‚त होकर अंदर रखे पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ का विकेंदà¥à¤°à¥€à¤•à¤°à¤£ करके उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ आस-पास के वायà¥à¤®à¤‚डल में पà¥à¤°à¤¸à¥‡à¤°à¤¿à¤¤ करती है। जिससे वातावरण शà¥à¤¦à¥à¤§ à¤à¤µà¤‚ पà¥à¤°à¤¦à¥‚षण रहित होता है। मिसà¥à¤° में पिरामिड à¤à¤• विशेष माप व अनà¥à¤ªà¤¾à¤¤ में बनाये जाते हैं। जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यदि उतà¥à¤¤à¤°-दकà¥à¤·à¤¿à¤£ दिशा में रखें तो खादà¥à¤¯ पदारà¥à¤¥à¥‹à¤‚ को à¤à¥€ अधिक समय तक सà¥à¤°à¤•à¥à¤·à¤¿à¤¤ रखा जा सकता है।
पिरामिड à¤à¤• विशेष पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की आकृति व संरचना है। जो सूरà¥à¤¯ और बाहà¥à¤¯ अंतरिकà¥à¤· से पृथà¥à¤µà¥€ तक पहà¥à¤‚चने वाली बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤¯à¤£à¥à¤¡à¥€à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾ से सà¥à¤ªà¤‚दित होता है। पिरामिड, बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤¯à¤¾à¤£à¥à¤¡à¥€à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾ से छह दिशाओं में परसà¥à¤ªà¤° कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ करता है- चारों ओर की ऊरà¥à¤œà¤¾, ऊपर सà¥à¤µà¤°à¥à¤— और पृथà¥à¤µà¥€ से। इसमें वरà¥à¤—ाकार आकार पृथà¥à¤µà¥€ का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‚प है और शीरà¥à¤· आकार का पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¨à¤¿à¤§à¤¿à¥¤ तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œà¤¾à¤•à¤¾à¤° सतह से चारों ओर की पà¥à¤°à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾ होती है। पिरामिड सà¤à¥€ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯à¤¾à¤£à¥à¤¡à¥€à¤¯ ऊरà¥à¤œà¤¾ का सूकà¥à¤·à¥à¤® संसाधन है। पिरामिड सूरà¥à¤¯, चंदà¥à¤°à¥à¤° और अनà¥à¤¯ गà¥à¤°à¤¹à¥‹à¤‚ की बरसती हà¥à¤ˆ ऊरà¥à¤œà¤¾ तथा पृथà¥à¤µà¥€ की उधà¥à¤°à¥à¤µà¤—ामी ऊरà¥à¤œà¤¾ से सà¤à¥€ कारà¥à¤¯ करता है। इन सà¤à¥€ ऊरà¥à¤œà¤¾ का मिलन केंदà¥à¤° मधà¥à¤¯ बिंदॠहै।
पिरामिड चार समदà¥à¤µà¤¿à¤¬à¤¾à¤¹à¥ तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œà¥‹à¤‚ से बनी à¤à¤• आकृति है। इसके चारों तà¥à¤°à¤¿à¤à¥à¤œ चारों दिशाओं की ओर इंगित करते हैं। ये चारों दिशाओं के पà¥à¤°à¤¤à¥€à¤• à¤à¥€ माने गये हैं यह संरचना ऊरà¥à¤œà¤¾ और शकà¥à¤¤à¤¿ का केंदà¥à¤° है जिससे सà¤à¥€ दिशाओं में निरंतर ंऊरà¥à¤œà¤¾ पà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¹à¤¿à¤¤ होती रहती है।
पिरामिड में समाहित पंचततà¥à¤µ: मानव शरीर पांच ततà¥à¤µà¥‹à¤‚-पृथà¥à¤µà¥€, जल, अगà¥à¤¨à¤¿, वायॠतथा आकाश से मिलकर बना है। जब तक मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवीत रहता है, तब तक पंचततà¥à¤µ उयमें समाहित रहते हैं। लेकिन जब मृतà¥à¤¯à¥ हो जाती है मनà¥à¤·à¥à¤¯ इनमें समा जाता है अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥à¥ मृतà¥à¤¯à¥ के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ का संबंध पंचततà¥à¤µà¥‹à¤‚ से बना रहता है। शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°, à¤à¤—वान ने समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की रचना इन पांच ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ से की है। तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ यह है कि सृृषà¥à¤Ÿà¤¿ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का आधार पंचततà¥à¤µ है। यही पांचों ततà¥à¤µ à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ वासà¥à¤¤à¥à¤¶à¤¾à¤¸à¥à¤¤à¥à¤° के चिंतन के आधार सà¥à¤¤à¤®à¥à¤ हैं।
मनà¥à¤·à¥à¤¯ जीवनà¤à¤° पंचततà¥à¤µà¥‹à¤‚ का उपयोग करता है, इसलिठये मनà¥à¤·à¥à¤¯ के लिठअतिमहतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हैं। पांचों ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ के उचित समà¥à¤®à¤¿à¤¶à¥à¤°à¤£ से ‘बायो इलेकà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤¿à¤• à¤à¤¨à¤°à¥à¤œà¥€â€™ उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होती है, जो मनà¥à¤·à¥à¤¯ को सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ और धन-वैà¤à¤µ पà¥à¤°à¤¦à¤¾à¤¨ करती है। धरती पर पांचों ततà¥à¤µ अनिवारà¥à¤¯ हैं। यदि इनमें से किसी à¤à¥€ à¤à¤• में कमी आ जाय तो मनà¥à¤·à¥à¤¯ का पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ होने वाले लाà¤à¥‹à¤‚ में कटौती हो जाती है। अतà¤à¤µ हमें इपने हमें परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ की देखà¤à¤¾à¤² करनी चाहिà¤à¥¤ परà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤°à¤£ संतà¥à¤²à¤¨ से ही पंचततà¥à¤µ संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ रह यकते हैं।
घर में पिरामिड की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ करके à¤à¥€ पंचततà¥à¤µà¥‹à¤‚ में सामंजसà¥à¤¯ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया जा सकता है। पिरामिड का ऊपरी सिरा आकाश का तथा निचला सिरा पृथà¥à¤µà¥€ और जल का दà¥à¤¯à¤¾à¥‹à¤¤à¤• है जबकि तà¥à¤°à¤¿à¤•à¥‹à¤£ का मधà¥à¤¯ à¤à¤¾à¤— अगà¥à¤¨à¤¿ का केंदà¥à¤° होता है। पिरामिड में पंचततà¥à¤µà¥‹à¤‚ का समावेश माना जाता है। इसके सही उपयोग से मनà¥à¤·à¥à¤¯ सà¥à¤–ी तथा समृदà¥à¤§à¤¿à¤¶à¤¾à¤²à¥€ बन सकता है।
मानव बà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯à¤¾à¤£à¥à¤¡ की सूकà¥à¤·à¥à¤® अनà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ है। पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मिसà¥à¤° की गहन रेखागणित के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पिरामिड के अंदर के à¤à¤¾à¤— में समà¥à¤ªà¥‚रà¥à¤£ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯à¤¾à¤£à¥à¤¡ समाया हà¥à¤† है। पिरामिड मानव शरीर की संरचना के अनà¥à¤°à¥‚प बनाया गया है। à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ बà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯à¤¾à¤‚ड विजà¥à¤žà¤¾à¤¨ की अवधारणा के अनà¥à¤¸à¤¾à¤° पà¥à¤°à¥‚ष उसके केंदà¥à¤° में है। मानव शरीर पांच मूल ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ से निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है इसलिठवासà¥à¤¤à¥ à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ के अनà¥à¤°à¥‚प होना चाहिà¤à¥¤ मनà¥à¤·à¥à¤¯ पंचमहाà¤à¥‚त ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ सपà¥à¤¤ ऊरà¥à¤œà¤¾ चकà¥à¤°à¥‹à¤‚ से नियंतà¥à¤°à¤¿à¤¤ है। इस तरह बà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯à¤¾à¤‚ड में मनà¥à¤·à¥à¤¯ और वासà¥à¤¤à¥ शिलà¥à¤ª का मधà¥à¤° संबंध हमारे पंच ततà¥à¤µà¥‹à¤‚ à¤à¤µà¤‚ सपà¥à¤¤ ऊरà¥à¤œà¤¾ केंदà¥à¤°à¥‹à¤‚ में आवशà¥à¤¯à¤• यà¥à¤¤à¤¿ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करता है। बà¥à¤°à¤¹à¥à¤¯à¤¾à¤‚ड की यह सूकà¥à¤·à¥à¤® अनूकृति पिरामिड, संबंधित पदारà¥à¤¥ या कोशिकाओं à¤à¤µà¤‚ की पूरà¥à¤¤à¤¿ कर सकता है।
à¤à¤• महान वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• के विचार कà¥à¤› इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° से हैं-
‘‘ पिरामिड के विशेष जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ आकार के फलसà¥à¤µà¤°à¥‚प उसके पांचों कोनों में à¤à¤• विशेष पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की किरणोतà¥à¤¸à¤°à¥à¤— पैदा होती है, जो ऊरà¥à¤œà¤¾ के रूप में पिरामिड की à¤à¤•-तिहाई ऊà¤à¤šà¤¾à¤ˆ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ किंगà¥à¤¸ चैमà¥à¤¬à¤° में इकटà¥à¤ ी हो जाती है।