ऑफिस का ब्रह्म स्थान (मध्य भाग) पर्याप्त प्रकाशमय तथा हवादार होना चाहिए।
पूर्व और उत्तर की ओर ज्यादा खाली स्थान होना चाहिए।
दक्षिण और पश्चिम की ओर खाली स्थान कम या खाली स्थान होना ही नहीं चाहिए।
ऑफिस का आकार आयताकार अथवा वर्गाकार होना चाहिए।
ऑफिस में फर्श की सतह दक्षिण और पश्चिम की तरफ उत्तर और पूर्व कि अपेक्षा उँची होनी चाहिए।
ऑफिस का प्रवेश द्वार उत्तर की तरफ, पूर्व की तरफ अथवा उत्तरी पूर्वी दिशा में होना चाहिए।
प्रवेश द्वार साफ-सुथरा होना चाहिए। ताकि लोगों का आने का मन करे।
सीढ़ीयों का सीधा दरवाजे के सामने होना शुभ लक्षण नहीं है।
अगर हम प्रकृति का साथ चाहते हैं तो हमें वास्तु के अनुसार ही कुर्सियाँ, मेजें तथा ऑफिस का दूसरा सामान रखना चाहिए।
अलमारियाँ, शोकेस और रैक आदि दक्षिण में पश्चिम में अथवा दक्षिणी पश्चिमी (SW) दिशा में रखे जाने चाहिए।
भगवान की प्रार्थना करने के लिए पूजा का छोटा सा स्थान या अलमारी उत्तर पूर्व दिशा में होना चाहिए।
कार्यालय फूलों और पौधों से सुसज्जित होना चाहिए, जो निश्चय ही ऑफिस में उल्लासपूर्ण वातावरण बनाते हैं।
कार्यालय की उत्तर दिशा, पूर्व दिशा और उत्तरी-पूर्वी दिशा में ज्यादा खिड़कियाँ और रोशनदान होने चाहिए। जबकि दक्षिण पश्चिम और दक्षिण-पश्चिमी दिशाओं में कम।
अध्यक्ष, प्रबन्ध निदेशक और कार्यालय स्वामी का ऑफिस प्रवेश द्वार से दूर होना चाहिए। यह ऑफिस दक्षिणी-पश्चिमी हिस्से में बनाया जा सकता है। कार्यालय के स्वामी को अपने ऑफिस के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बैठना चाहिए।
कार्यालय के स्वामी को अपना मुँह उत्तर दिशा की ओर करना चाहिए क्योंकि उत्तर दिशा की ओर कुबेर का वास होता है। एक और दिशा, पूर्व दिशा भी इनके लिए शुभ है।
उसका ऑफिस, कार्यालय में सबसे बड़ा होना चाहिए।
ऑफिस का दरवाजा, शौचालय के दरवाजे के सामने नहीं होना चाहिए।
कार्यालय के सामने गन्दी कूड़े से भरी हुई नालियों का बहना नाराजगी और धन हानि का कारण बनता है।
कार्यालय में, कार्य के स्थान पर टूटा हुआ शीशा नहीं रखना चाहिए।
भवन की लम्बाई, चैड़ाई और उँचाई ठीक अनुपात में होनी चाहिए।
ऑफिस में कमल के फूल, उद्यान, झील में तैरते पक्षी हंस, बतख या सारस के चित्रों का प्रभाव बहुत शुभ होता है।
पालतू पक्षियों तोता, कोयल, मोर आदि के चित्रों को रखा जाए तो वास्तु की दृष्टि से यह भी एक उत्तम लक्षण है।
ऑफिस में स्वास्तिक और ओम् के चिन्ह रखने का शुभ प्रभाव होता है।
लेखा-विभाग ऑफिस के उत्तर की तरफ होना चाहिए।
अपने कैश बॉक्स लाकर्स कभी खाली नहीं होने दीजिये।
Pooja/Tantra पूजा / तंत्र
आपकी वर्तमान एंव भविष्य की परेशानियों एंव कष्टों को दूर करने हेतु मंत्र तंत्र, अनुष्ठान एंव यज्ञ का प्रावधान है जिससे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक एंव शिक्षा आदि परेशानियों को दूर किया जा सकता है।
सिद्ध यंत्र, सिद्ध लाकेट, सिद्ध रुद्राक्ष एंव सिद्ध मालायें धारण करने एंव मंत्रों के जाप से पति-पत्नि बशीकरण, मुकदद्मा जीतने, शिक्षा एंव नौकरी की रूकावटों, शारीरिक, मानसिक परेशानी दूर की जा सकती है।
हम अपनी ज्योतिष, तंत्र शिक्षा प्रसार समिति द्वारा ज्योतिषशास्त्र, वास्तुशास्त्र एवं अंकविज्ञान आदि की शिक्षा प्रदान करते है। यह संस्था अखिल भारतीय ज्योतिष संस्था संघ, नई दिल्ली से सम्बद्ध (affilated) है।
आपको ज्योतिष एंव वास्तु का ज्ञान प्रदान करके जीवन की उन्नति हेतु हम द्वि-मासिक
"भविष्य निर्णय" पत्रिका, भविष्य दर्शन पंचांग कालदर्शक (कलेण्डर) एवं लघु पाकेट पंचांग का प्रकाशन करते हैं।
DISCLAMER-There are no guarantees that every person using this service will get their desired results for sure. Astrological results depend on a lot of factors and the results may vary from person to person.