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सामुद्रिक रत्न: यह पाठ्यक्रम उन सभी नवीन विद्यार्थियो के लिए है जो हस्त रेखा विज्ञान सीखना चाहते हैं। इस पाठ्यक्रम में हस्त परीक्षण अंगुष्ठ विचार पर्व एवं चिह्न विचार एवं अनेक प्रकार की छोटी बड़ी रेखाओं के बारे में बताया जाता है जिससे कि हाथ देखकर भविष्यवाणी की जा सके। सामुद्रिक शास्त्राचार्यः सामुद्रिक रत्न के पश्चात हस्त रेखा ज्ञान में पूर्णता हेतु यह पाठ्यक्रम आवश्यक है। इस पाठ्यक्रम में अनेक प्रकार के प्रश्न जैसे स्वास्थ्य धन व्यवसाय शिक्षा आयु आदि का विचार किया जाता है। अनेक प्रकार के उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है। मुखाकृति विज्ञान की पूर्ण जानकारी भी इसमें दी जाती है। सामुद्रिक ऋषिः इस पाठ्यक्रम में सामुद्रिक शास्त्र के पुनरावलोकन के साथ साथ महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों का हस्तरेखा व मुखाकृति विश्लेषण करवाया जाता है। साथ ही सामुद्रिक शास्त्र के मूल ग्रन्थों का अध्ययन एवं स्वाध्याय करना होता है। इसमें उत्तीर्ण होने के लिए शोध निबन्ध लिखना व परियोजना कार्यान्वयन अनिवार्य है। सामुद्रिक महर्षिः वास्तु एवं ज्योतिष महर्षि के अनुरुप इसमें हस्त रेखा मुखाकृति अथवा अंक शास्त्र पर शोध एवं अनुसंधान करना होगा और शोध पत्र लिखकर पत्रिका में छपवाना होगा। प्रवेश प्रणालीः किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश जिज्ञासु दो फार्म भरकर धनराशि ज्योतिष तंत्र शिक्षा प्रसार समिति, भविष्य दर्शन, आगरा केंद्र में जमा कराएं। धनराशि भविष्य दर्शन, आगरा के नाम ड्राफ्ट/चेक द्वारा या नकद दी जा सकती है। आप किस पाठ्यक्रम की किस कक्षा में प्रवेश लेना चाहते हैं यह प्रवेश के समय अवश्य निर्धारित कर लें। योग्यताः ज्योतिष रत्न, वास्तु रत्न, अंक ज्योतिषाचार्य एवं सामुद्रिक रत्न के लिए किसी पूर्व ज्योतिष की योग्यता की आवश्यकता नहीं है एवं कोई भी व्यक्ति जिसने 10+2 किया हो इसमें प्रवेश ले सकता है। फॉर्म डाऊनलोड करें प्रवेश निम्न क्रमानुसार दिया जायेगा-ज्योतिष रत्न, ज्योतिष भूषण, ज्योतिष प्रभाकर, ज्योतिष शास्त्राचार्य। वास्तु रत्न के बाद वास्तु शास्त्राचार्य में प्रवेश होगा। इसी प्रकार सामुद्रिक रत्न के बाद सामुद्रिक शास्त्राचार्य में प्रवेश होगा। ऋषि पाठ्यक्रम में मूल ग्रन्थों का अध्ययन एवं विशेष व्यक्तियों या भवनों का उदाहरण लेकर विश्लेषण करना सिखाया जाता है। साथ ही मूल पाठ्यक्रम का पुनरावलोकन कराया जाता है। कार्यरत ज्योतिषी, वास्तु या हस्तरेखा शास्त्री, इस विद्या को सुदृढ़ करना चाहते हैं वे ज्योतिष ऋषि, वास्तु ऋषि या सामुद्रिक ऋषि के पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। इसके लिए शास्त्राचार्य या समकक्ष योग्यता या तीन वर्ष का ज्योतिष अनुभव अनिवार्य है। ज्योतिष में शोध एवं अनुसंधान हेतु ज्योतिष महर्षि में प्रवेश लिया जा सकता है। इसके लिए ज्योतिष ऋषि या ज्योतिष में पांच वर्ष का अनुभव आवश्यक है। वास्तु में शोध के लिए वास्तु महर्षि में प्रवेश दिया जायेगा। इसके लिए वास्तु ऋषि या वास्तु में दो वर्ष का अनुभव आवश्यक है। सामुद्रिक शास्त्र में शोध के लिए सामुद्रिक महर्षि में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सामुद्रिक ऋषि या दो वर्ष आ अनुभव आवश्यक है। प्रवेश शुल्कः संघ के अंतर्गत पढ़ाये जाने वाले विभिन्न पाठयक्रमों का शुल्क (रुपयों में) भारत के सभी चैप्टर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को छोड़कर निम्न प्रकार होगा।
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