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वास्तु रत्नः यह पाठ्यक्रम नवीन विद्यार्थियों के लिए है जो वास्तु शास्त्र सीखना चाहतेहैं तथा वास्तु विशेषज्ञ बनना चाहते हैं। आर्किटेक्ट बिल्डर एवं उन सब के लिए जो कोई भवन, कार्यालय आदि निर्माणकरने का विचार कर रहे हैं, उनके लिए यह पाठ्यक्रम अत्युत्तम गृहणियों के लिए भी गृह सज्जा को वास्तु सम्मत बनाने के लिए यह पाठ्यक्रमअत्यंत उपयोगी है। वास्तु शास्त्राचार्यः वास्तु रत्न के बाद अथवा जो विद्यार्थी वास्तु नियम जानते हैं लेकिन उनका उपयोग करने में सक्षम नहीं हैं, इसमें प्रवेश ले सकते हैं। इसमें वास्तु दोष एवं निवारण पर विशेष बल दिया जाता है। साथ ही अनेक प्रकार के उद्योग, भवन, मंदिर, नगर आदि में वास्तु कला के स्वरुप को बताया जाता है। वास्तु ऋषिः इस पाठ्यक्रम में वास्तु के पुनरावलोकन के साथ-साथ महत्त्व पूर्ण एंव ऐतिहासिक भवनों तथा नगरों व बस्तियों का वास्तु विचार किया जाता है। वास्तु संबंधित उच्च स्तरीय उपायों का भी अध्ययन होता है। साथ ही वास्तु के मूल ग्रन्थों का स्वाध्याय करना होता है। इसमें उत्तीर्ण होने के लिए शोध निबन्ध लिखना व परियोजना कार्यान्वयन अनिवार्य है। वास्तु महर्षिः ज्योतिष महर्षि के समान ही वास्तु महर्षि भी वास्तु विज्ञान पर शोध एवं अनुसंधान कार्य के लिए बनाया गया है। इसमें वास्तु के नियमों के ऊपर शोध कर शोध पत्र लिखना एवं पत्रिका में छपवाना आवश्यक है। प्रवेश प्रणालीः किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश जिज्ञासु दो फार्म भरकर धनराशि ज्योतिष तंत्र शिक्षा प्रसार समिति, भविष्य दर्शन, आगरा केंद्र में जमा कराएं। धनराशि भविष्य दर्शन, आगरा के नाम ड्राफ्ट/चेक द्वारा या नकद दी जा सकती है। आप किस पाठ्यक्रम की किस कक्षा में प्रवेश लेना चाहते हैं यह प्रवेश के समय अवश्य निर्धारित कर लें। योग्यताः ज्योतिष रत्न, वास्तु रत्न, अंक ज्योतिषाचार्य एवं सामुद्रिक रत्न के लिए किसी पूर्व ज्योतिष की योग्यता की आवश्यकता नहीं है एवं कोई भी व्यक्ति जिसने 10+2 किया हो इसमें प्रवेश ले सकता है। फॉर्म डाऊनलोड करें प्रवेश निम्न क्रमानुसार दिया जायेगा-ज्योतिष रत्न, ज्योतिष भूषण, ज्योतिष प्रभाकर, ज्योतिष शास्त्राचार्य। वास्तु रत्न के बाद वास्तु शास्त्राचार्य में प्रवेश होगा। इसी प्रकार सामुद्रिक रत्न के बाद सामुद्रिक शास्त्राचार्य में प्रवेश होगा। ऋषि पाठ्यक्रम में मूल ग्रन्थों का अध्ययन एवं विशेष व्यक्तियों या भवनों का उदाहरण लेकर विश्लेषण करना सिखाया जाता है। साथ ही मूल पाठ्यक्रम का पुनरावलोकन कराया जाता है। कार्यरत ज्योतिषी, वास्तु या हस्तरेखा शास्त्री, इस विद्या को सुदृढ़ करना चाहते हैं वे ज्योतिष ऋषि, वास्तु ऋषि या सामुद्रिक ऋषि के पाठ्यक्रम में प्रवेश ले सकते हैं। इसके लिए शास्त्राचार्य या समकक्ष योग्यता या तीन वर्ष का ज्योतिष अनुभव अनिवार्य है। ज्योतिष में शोध एवं अनुसंधान हेतु ज्योतिष महर्षि में प्रवेश लिया जा सकता है। इसके लिए ज्योतिष ऋषि या ज्योतिष में पांच वर्ष का अनुभव आवश्यक है। वास्तु में शोध के लिए वास्तु महर्षि में प्रवेश दिया जायेगा। इसके लिए वास्तु ऋषि या वास्तु में दो वर्ष का अनुभव आवश्यक है। सामुद्रिक शास्त्र में शोध के लिए सामुद्रिक महर्षि में प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए सामुद्रिक ऋषि या दो वर्ष आ अनुभव आवश्यक है। प्रवेश शुल्कः संघ के अंतर्गत पढ़ाये जाने वाले विभिन्न पाठयक्रमों का शुल्क (रुपयों में) भारत के सभी चैप्टर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को छोड़कर निम्न प्रकार होगा।
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