Favourable Gems/राशि रत्न Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट Baby Names/बच्चों के नाम |
||||||||||||||||||||||||||
|
||||||||||||||||||||||||||
मन्त्र क्या है? वह कैसे प्रभावित करता है? अनिष्ट फल को कैसे दूर करता है?
मंत्र-लय व शब्दों से बंधे हुए शब्द समूह को मंत्रा कहते है। अर्थात विशेष लय व ध्वनि के साथ उच्चरित शब्द समूह जिसका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर पड़ता है उसे मंत्र कहते हैं। शब्द या उसके अर्थ मंत्र शास्त्र की दृष्टि से विशेषमहत्व हीं रखते अपितु एक विशेष लय व ध्वनि महत्व पूर्ण प्रभाव रखती है। जैसे एक भिखारी आया और उसने आपसे सीधे भीख देने के लिये कहा तो आप इन्कार कर देते हैं परन्तु यदि एक अन्य भिखारी करुणा भरी आवाज में, गिड़गिड़ाते हुए आप से कहता है “मै दो दिन से भूखा हूँ। साहब चाय तक नहीं मिली। आपके बच्चें सुखी हों। कृपया खाने के लिए कुछ पैसे दे दीजिये” आप करुणा से भर जाते हैं व उसे दस का नोट निकाल कर दे देते हैं। यह केवल भिखारी की ध्वनि थी कि आपको पैसा देने पर द्रवित कर डाला। इसी प्रकार मन्त्र में लय व ध्वनि अपना एक विशेष स्थान रखती हैं लय या ध्वनि मंत्र की चेतना है, प्राण है। मंत्र को समझने के लिये धैय की आवश्यकता होती है। मंत्र अपने आप में पूर्ण नहीं होता है। अपितु उसके साथ एक क्रिया-पद्धति है। वह मंत्र के साथ मिलकर पूर्ण मंत्र का निर्माण करती है। जैसे गेहूं अपने आप में रोटी नहीं हैं। गेहूं को रोटी-खाने योग्य बनाने के लिये उसका आटा पिसवाना पड़ेगा। आटे को गूंदना पडे़गा। फिर रोटी बेलनी पड़ेगी। तब जाकर हम गेहूं को खा पाएगें अर्थात् गेहूं की रोटी बनाने के लिए एक पद्धति का प्रयोग करना पड़ेगा तब जाकर वह हमारे उपयोग की वस्तु बनेगी। उसी प्रकार मंत्र के साथ एक पद्धति जुड़ी रहती है तब जाकर मंत्र हमारे उपयोग की वस्तु बनता है। अर्थात फल प्राप्त होता है। इसीलिये मंत्र की लय व उसकी पद्धति का पूर्ण ज्ञान प्राप्त करके ही मंत्र का पूर्ण लाभ उठाया जा सकता है। 1. मन्त्र क्या है? वह कैसे प्रभावित करता है? अनिष्ट फल को कैसे दूर करता है? 2. मंत्र कार्य कैसे करता है? 3. मंत्र व स्तोत 4. मन्त्र - सामर्थ 5. अंतश्चेतन को जाग्रत करने के लिये 6. साधन किस मास में आरम्भ की जाये? 7. जप का विशेष महत्व है। जप की कुछ सावधानियाँ 8. जप तीन प्रकार का होता है 9. माला संस्कार 10. माला फेरते हुए कुछ सावधनियाँ 11. पुष्प- शास्त्रों में पूजन के लिये पुष्प का विशेष महत्व 12. पुरश्चरण 13. यज्ञ/हवन |
||||||||||||||||||||||||||
|
|
|||||||||||||||||||||||||
|
|
|||||||||||||||||||||||||
|
| |||||||||||||||||||||||||
DISCLAMER-There are no guarantees that every person using this service will get their desired results for sure. |