Favourable Gems/राशि रत्न Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट Baby Names/बच्चों के नाम |
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जप तीन प्रकार का होता है
वाचिक, उपाशु और मानसिक। वेद, स्तोत्र व सहस्रनाम आदि को बोलकर पढ़ा जाता है। इसलिये वाचिक है वाचिक का अर्थ है जो सुना जा सके। सप्तशती आदि का जप मानसिक होता है। उपांशु जप मे होठ हिलते है व जीभ भी क्रियाशील होती है।
पूजा करना-पूजा के कोई विधान है यौसठ, अठारह, सोलह, दस व पांच मुख्य है। पंचो उपचार में
1. गंध। 2. पुष्प। 3. धूप। 4. दीप व नैवेद्य सम्मलित है। माला संस्कार- शास्त्रों में माला का विशेष महत्व है। माला तीन प्रकार की होती है। 1. कर माला। 2. वर्णमाला। 3. मणिमाला। (क) जो जप उंगलियों पर किया जाता है उसे कर माला कहते है। यह दो प्रकार की होती है एक उंगलियों पर गिनना (2) उंगलियों के पर्वो पर गिनना। शास्त्रों अनुसार उंगलियोें के पर्वो पर गिनना उत्तम है। नियमानुसार पहले अनामिका के मध्य भाग से नीचे की ओर चले, फिर कनिष्ठा के मूल के मूल से अग्रभाग तक, फिर अनामिका, मध्यमा, तर्जनी के अग्रभाग से तर्जनी के मूल तक गिने। कुल दस पर्व की संख्या हुई। (ख) वर्ण मालाः-अक्षरों के द्वारा संख्या गिनना। (ग) मणि मालाः- जिन साधकों को ज्यादा जप करना होता है। वे मणि माला का प्रयोग करते है। यह माला कई प्रकार की होती है। रत्न, रुद्राक्ष, तुलसी, शंख, कमल-बीज, जीव पुत्रक चंदन, स्फास्टिक, मोती आदि पदार्थो की माला होती है। सावधनियाँ 1. एक प्रकार के पदार्थ में दूसरे पदार्थ का प्रयोग वर्जित है। 2. माला के मनके एक जैसे होने चाहिये। 3. माला में 108 मनके ही व सुमेरु अलग से हो। 4. माला में जो धागा प्रयोग में लाए वह शुद्ध होना चाहिये। 5. रुद्राक्ष के दानों को पिराते समय उसके मुंह और पुच्छ का ध्यान रखना चाहिये। मुंह कुछ ऊपर उठा होता है। अतः माला बनाते समय मुंह से मुंह व पुच्छ से पुच्छ जुड़ी होनी चाहिये। 6. दोनों दानों के बीच गांठ लगाई भी जा सकती है और नहीं भी। 7. स्वर्ण तार से या रजत तार से भी माला गूंथी जा सकती है। 8. प्रत्येक दाना पिरोते समय “ॐ” ध्वनि का उच्चारण करें। 1. मन्त्र क्या है? वह कैसे प्रभावित करता है? अनिष्ट फल को कैसे दूर करता है? 2. मंत्र कार्य कैसे करता है? 3. मंत्र व स्तोत 4. मन्त्र - सामर्थ 5. अंतश्चेतन को जाग्रत करने के लिये 6. साधन किस मास में आरम्भ की जाये? 7. जप का विशेष महत्व है। जप की कुछ सावधानियाँ 8. जप तीन प्रकार का होता है 9. माला संस्कार 10. माला फेरते हुए कुछ सावधनियाँ 11. पुष्प- शास्त्रों में पूजन के लिये पुष्प का विशेष महत्व 12. पुरश्चरण 13. यज्ञ/हवन |
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