Favourable Gems/राशि रत्न Tantrik Pendant/ तांत्रिक लाकेट Baby Names/बच्चों के नाम |
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पुरश्चरण
पुरश्चरण का अर्थ है कि साधक नियमित माला की संख्या का जप करने का संकल्प लेता है। इसलिये जप की संख्या के अनुसार नित्य की जप संख्या का निर्धारण होता है। जप संख्या जो सतयुग में थी त्रेता युग में दुगनी, द्वापर में तीन गुनी व कलियुग में चौगुनी मानी जाती है। 1. मन्त्र क्या है? वह कैसे प्रभावित करता है? अनिष्ट फल को कैसे दूर करता है? 2. मंत्र कार्य कैसे करता है? 3. मंत्र व स्तोत 4. मन्त्र - सामर्थ 5. अंतश्चेतन को जाग्रत करने के लिये 6. साधन किस मास में आरम्भ की जाये? 7. जप का विशेष महत्व है। जप की कुछ सावधानियाँ 8. जप तीन प्रकार का होता है 9. माला संस्कार 10. माला फेरते हुए कुछ सावधनियाँ 11. पुष्प- शास्त्रों में पूजन के लिये पुष्प का विशेष महत्व 12. पुरश्चरण 13. यज्ञ/हवन |
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